Month: May 2022

परिषह-जय

वेदना को सहना, प्रतिकार नहीं करना परिषह-जय है । वेदना कम करने के लिये भगवान से प्रार्थना करना भी परिषह-जय में कमी है । आचार्य

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सत्य

वैसे तो सत्य अखंड है पर व्यवहार चलाने में खंडित हो जाता है जैसे सत्य यह है कि रोटी पूर्ण होती है पर माँ खंडित

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अदर्शन-परिषह

दर्शन-मोहनी के उदय से, अदर्शन-परिषह होता है, मिथ्यात्व से नहीं। शास्त्रों में – पढ़े के अनिर्णय से क्योंकि अनुभव/बुद्धि से परे है – आत्मा पकड़

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नाम / आनंद

12 जनवरी’07 को दुनिया के सबसे प्रसिद्ध वायलन बजाने वाले Joshua Bell ने अमेरिका में New York के Metro Station पर एक घंटा वायलन बजाया।

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प्रत्येक / साधारण

पेड़ आदि प्रत्येक जीव होते हैं। इनके आश्रित/आधार से अनेक प्रत्येक तथा साधारण जीव रहते हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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ध्यान

अभ्यंतर और बाह्य परिग्रह के प्रति लगाव न होना ध्याता का स्वरूप है । ऐसा ध्याता ध्येय की चिंता किये बिना ध्यान लगा सकता है

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घर वापसी

गायें शाम को लौटतीं हैं। उस बेला को गोधूलि कहते हैं। वह शुभ मानी जाती है, क्योंकि गायें अपने प्यार को सँजो कर बच्चों से

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बंध

बंध दो प्रकार का – 1. द्रव्य बंध – प्रदेश बंध – कर्म परमाणुओं का 2. भाव बंध – प्रकृति, स्थिति, अनुभाग मुनि श्री प्रणम्यसागर

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आनंद

जिसे दुबारा करने/पाने/देखने/सुनने का मन करे, वह आनंद की क्रिया है। सन् 1983 में आचार्य श्री विद्यासागर जी संघ सहित लम्बा विहार करके शाम को

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मंगल आशीष

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May 31, 2022