Month: May 2022
गुरुवयणम्
यानि गुरुवचन, यह उपकरण है। शास्त्र अपरम्पार है, पर गुरुवचन का भी तो पार नहीं क्योंकि गुरु शास्त्रों का निचोड़ हमारे कानों में देते हैं।
कर्म-फल
यह दो प्रकार का है – 1. बाह्य – जो दिखता भी है – वैभव के रूप में। 2. अंतरंग – जो दिखता नहीं, पर
तत्त्व का अनुभव
तत्त्व सम्यक्त्व भी, मिथ्या भी; द्रव्य नहीं (न सम्यक्त्व, ना ही मिथ्या)। 1. वस्त्रधारी को मुनि तत्त्व का अनुभवन नहीं हो सकता। 2. मोक्ष तत्त्व
धन और सदुपयोग
धन की प्राप्ति पुण्य के फल से, धन को सदुपयोग में लगाना तप के फल से। (इच्छानुरोध से ही सदुपयोग कर पाते हैं, यही तो
काल-अतिक्रम
1. काल निकल जाने पर दान देना। 2. आहार में कौन सी चीज किस समय देना। 3. आहार में कौन सी चीज किस क्रम से
कमज़ोरियाँ
एक कम्पनी की Board Meeting में Director ने कम्पनी की Growth पर चर्चा ना करके, कम्पनी के Fail होने के कारणों पर चर्चा की। कहा
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन जब भी प्रकट होगा तब प्रशम आदि चारों गुणों से होगा, आत्मचिंतन से नहीं, 7 तत्त्वों पर विश्वास से होगा। वीतराग-सम्यग्दर्शन आत्मा को आधार
स्वावलम्बन
सांप के भय से गुरु से गरुडी मंत्र मत पढ़वा लेना, वरना रस्सी ही सांप बन जायेगी। थोड़ी बीमारी का ज्यादा रोना डॉक्टर से मत
गुरु-आशीष
श्री भगवती आराधना में कहा है – गुरु का आशीष – 1. मिथ्यादृष्टि को – “धर्म लाभ” 2. सम्यग्दृष्टि को – “धर्म वृद्धि” (धर्म तो
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