Month: May 2022
परिग्रह
1. मनोज्ञ या अमनोज्ञ दोनों में राग या द्वेष रखना परिग्रह है। 2. द्रव्य-परिग्रह – अलग-अलग इन्द्रियों के अलग-अलग द्रव्य। 3. क्षेत्र-परिग्रह – स्थान विशेष
सार्थक उम्र
बड़े-बड़े संत छोटी-छोटी उम्र में अपना और हजारों का कल्याण करके चले गये (जैसे गुरुवर श्री क्षमासागर जी)। भगवान महावीर को ज्ञान की प्राप्ति ४२
संयम का फल
पंचमकाल के मुनि तो देव बनेंगे, तो क्या संयम का फल असंयम? संयम का फल…. 1. वर्तमान के मुनि पद का आनंद 2. पापों से
त्याग
आचार्य श्री विद्यासागर जी आहार देने वाले से कुछ त्याग नहीं कराते। एक वकील ने आहार दिया, जो त्याग करने से डरता था। बाद में
अतिभारारोपण
स्वयं के ऊपर अतिरिक्त बोझ डालना भी क्या अतिभारारोपण में आयेगा ? योगेन्द्र स्वयं पर अतिरिक्त भार डालने से मानसिक तनाव होता है, जो निश्चित
साधु
साधु देखते हुये भी देखता नहीं, या उसमें कुछ और देख लेता है, जैसे कोई काम की वस्तु। सुनते हुये भी सुनता नहीं, या और
आहार
मुनिराज जैन कुल/सुकुल में ही आहार लेते हैं। यदि अन्य कुल में आहार के लिये गये, तो मांसाहार का त्याग कराना होगा। पर मांस का
निमित्त और पुरुषार्थ
निमित्त तो दियासलाई की काढ़ी के जलने जैसा है: उतने समय में अपना दीपक जला लिया, तो प्रकाशित हो जाओगे; वर्ना गुरु ज़्यादा देर रुकते
कर्म / नोकर्म
8 कर्म हैं, उनके फल नोकर्म – शरीरादि। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
नियंत्रण
बुरा मत बोलो, देखो, सुनो के लिये बहुत मेहनत करनी पड़ती है/दोनों हाथ से मुंह, आंख, कान बंद करने होते हैं। मुनिराज ने कहा –
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