Month: May 2022
आकस्मिक मरण
आकस्मिक मरण में भी व्रती (देश/महाव्रती) का समाधि-मरण ही माना जायेगा क्योंकि उनके जीवन पर्यंत का संकल्प था। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
सत्य को नकारना
सत्य को नकारने के 7 कारण – राग, द्वेष, क्रोध, मान, माया, लोभ और भ्रम। चिंतन
कर्म-फल और पुरुषार्थ
आत्मा में रागद्वेष के कर्मोदय में आप रागद्वेष ना भी करना चाहे तो भी करना पड़ेगा, उससे बंध भी होगा ही। कारण ? 1. कर्म
आगम / आदेश
व्याकरण में दो शब्द आते हैं – आगम – शब्द में अक्षर मिलाने से भाव नहीं बदलते जैसे बाल और बालक। आदेश – शब्द नहीं
भव्यता / भक्ति
भव्य मंदिरों में भक्ति ज्यादा आती है, समवसरण सबसे ज्यादा भव्य होते हैं, मन्दिर भी समवसरण के रूप होते हैं। पर देवता अपने-अपने भव्य मन्दिरों
अनित्य
Temporary Service वाले की नौकरी छूटने पर उसे उतना दु:ख नहीं होता जितना Permanent वाले को । संयोगों/सम्बंधों को अस्थायी समझने वालों को संयोगों/सम्बंधों के
असत्य
असत्य यानि प्रमाद (असावधानी) पूर्वक कहे गये शब्द। यदि कोई सावधानी पूर्वक असत्य कहे तो प्रमाद/असत्य न होगा? होगा, जैसे सावधानी पूर्वक किसी जीव को
देव-दर्शन
एक रूपक – देवदर्शन करते समय ऐसा आभास हुआ कि भगवान पूछ रहे हों- तुम्हारे साथ एक बिटिया आती थी, आजकल दिखती नहीं है? हाँ
हिंसा
प्रवृत्ति तो 1 से 6 गुणस्थानों में है, तो हिंसा ? पहले गुणस्थान वाला भी जब प्रवृत्ति में सावधानी बरतेगा, तब हिंसा का दोष नहीं
बोलना
बोलने में शारीरिक श्रम लगता है/खून ख़र्च होता है। एक शब्द के उच्चारण में एक पाव दूध जितनी शक्ति लगती है। इसलिये कम बोलना चाहिये,
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