Month: June 2022
प्रमाद / कषाय
प्रमाद में भी कषाय लीं हैं, पर 4 क्रोधादि सामान्य रूप से। कषाय में 25 (4×4+9) विशेष रूप से। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
पाप का प्रक्षालन
कलकत्ता का बेलगछिया का भव्य जैन मंदिर 26-27 बीघा के उपवन के बीच, शहर के मध्य स्थित है। बनवाने वाले सेठ हुलासीराम बड़े अय्याश थे।
आत्म-ज्ञान
वह ज्ञान ही नहीं जिसमें आत्म-ज्ञान न हो। पापों से यदि मुक्त्ति में निमित्त न बने, वह ज्ञान किस काम का ! वह ज्ञान बेकार
अपूर्णता
पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम की माँ ने एक दिन जली रोटी अपने पति को दे दी। उन्होंने शांति से खा ली। कलाम के पूछने
द्रव्य / तत्त्व
संसार द्रव्य व तत्त्वों का बगीचा है, यह निंदनीय नहीं, संसारी निंदनीय हैं। द्रव्य को बस सुरक्षित रखना है, महत्त्व तत्त्व का है। इसीलिये भगवान
आराधना
आराधना क्यों ? मन और गृह शांति के लिये । तो शांति मिली क्यों नहीं ? क्योंकि अभी तक आराधना के उद्देश्य रहे – 1.
शुद्धि
शुद्धि 8 प्रकार की – 3 गुप्ति (काय, भाव,भाषा) + 5 समिति रूप (विनय, ईर्यापथ, भक्ष्य, शयनासन, प्रतिष्ठापन) मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
जाति
प्रकृति ने तो मनुष्य की एक ही जाति बनायी है – “मनुष्य” (जैसे एकेन्द्रिय…पंचेन्द्रिय जीव) । मनुष्य ने उसमें कर्मों के अनुसार भेद कर दिये।
शलाका पुरुष
(63)शलाका पुरुष “63” प्रवृत्ति वाले, सामान्य पुरुष “36” प्रवृत्ति वाले (एक दूसरे की ओर पीठ किये रहते हैं) आचार्य श्री विद्यासागर जी
दान
स्व-धन/वस्तु का त्याग, जिससे “स्व”, “पर” का उपकार हो; “स्व” का उपकार ? अपनी आत्मा का उपकार। कैसे होगा ? जिनालय, जिनवाणी, जिन गुरु* के
Recent Comments