Month: July 2022
कर्म के प्रभाव
1. ज्ञानावरण/दर्शनावरण – आवरण घटने से – क्षयोपशमिक-भाव 2. वेदनीय – कर्मोदय से – औदायिक-भाव असाता के कर्मोदय से – शारीरिक/पारिवारिक दु:ख। बाहरी उपाय तभी
ऊब
ऊब से बचने के उपाय…. 1. रुचि पैदा करें 2. स्वीकारें 3. संकल्प पूरा करें 4. लक्ष्य के प्रति आदर भाव रखें ऊबना है तो
जीव
अनंतकायिक जीव में – प्रत्येक जीव कम, निगोदिया ज्यादा होते हैं। प्रत्येक-शरीर जीव में – निगोदिया कम। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
खेलना
खेलने से …. 1. Team Sprit आती है – Individual Sports के विश्वविजेता के साथ भी पूरी टीम होती है – सेहत आदि के लिये।
पुद्गल / प्रदेश
एक परमाणु एक प्रदेश में रहेगा। दो परमाणु एक प्रदेश में भी रह सकते हैं यदि बद्ध हों/अवगाहित होकर। दो प्रदेशों में तीन परमाणु भी
अतीत/ वर्तमान/ भविष्य
अतीत में जीना मोह है, वर्तमान में जीना कर्मयोग है, भविष्य में जीना लोभ है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
मृदुता / संयम
मृदुता के बिना ज्ञान की पात्रता नहीं आती। इन्द्रिय विषयों और कषायों से सम्बंध नहीं रखने से ऋजुता स्वयंमेव प्राप्त हो जाती है। संयम, ज्ञान
विषय-भोग
जब मस्तिष्क/शरीर की क्षमता का बड़ा भाग Unutilized पड़ा है, तो धर्म/अध्यात्म के साथ यदि विषय-भोग में भी Involve रहें तो क्या बुराई है ?
धरणेन्द्र
धरणेन्द्र, कमठ के जीव वाले देव से छोटे/कम शक्त्तिशाली थे सो उसे भगा नहीं सकते थे। इसलिये पार्श्वनाथ भगवान के ऊपर फन फैला उनकी रक्षा
कंजूस का हश्र
समुद्र किसी को भी अपना जल ख़ुशी से नहीं देता हालाँकि इसकी वजह से वह खारा भी हो जाता है। खारा भी शायद इसीलिए होता
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