Month: July 2022
द्वीप / समुद्र
अढ़ाई द्वीप/मनुष्य लोक सबसे महत्त्वपूर्ण है। आगे के असंख्यात द्वीपों/समुद्रों में तो मनुष्य ही नहीं होते, वे तो मनुष्य लोक को Balance करने के लिये
चिकित्सा
रोगी को निर्भय और सकारात्मक करना ही सबसे बड़ी चिकित्सा है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
मूलाचार
पंडित जी – मूलाचार की मूल पांडुलिपि जर्मनी में है, कितना बड़ा दुर्भाग्य है ! आचार्य श्री – जर्मनी में द्रव्यलिपि हो सकती है, पर
पूजादि
पूजा – अष्टद्रव्य (पूजा सामग्री) से भक्त्ति प्रकट करना। आराधना – पूजा + अतिरिक्त आलम्बन से गुणों का ध्यान। प्रार्थना – हृदय के उद्गार प्रकट
निदान
निदान शत्रुता से – प्रतिनारायण को, वैभव देखकर लालसा से – नारायण को। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
छोटी बात
बड़ी कंपनी में CEO के चयन के बाद मालिक के साथ डिनर रखा गया। मालिक ने चयन रद्द कर दिया, क्योंकि उस व्यक्ति ने सूप
चल/अचल प्रदेश
अयोग केवली तथा सिद्ध भगवान के “अचल प्रदेश” होते हैं, हमारे “चल”(इस कारण शायद हमको सब घूमता दिखता है)। चल प्रदेशों में Activity होती है।
श्रद्धा / धर्म
श्रद्धा – संसार जीवों से ठसाठस भरा है। कुछ दृश्य, कुछ अदृश्य। धर्म – दृश्य की रक्षा और अदृश्य की रक्षा के भाव रखना। चिंतन
असंख्यातवां भाग
असंख्यात का असंख्यातवां भाग भी असंख्यात ही होता है। जैसे अनंत का अनंत और संख्यात का संख्यातवां भाग संख्यात। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
परमार्थ / स्वार्थ
मध्य-पूर्व में दो समुद्र हैं – डैड सी और गैलिली सी। दोनों में पानी जाॅर्डन नदी से आता है। डैड सी में न तो मछलियाँ
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