Month: July 2022
वीर्याचार
चारौं प्रकार के आचारों की सुरक्षा के लिये वीर्याचार आवश्यक है। ज्ञान और दर्शन में तो प्रायः अधिक शक्ति ख़र्च करते हैं पर चारित्र एवं
श्रम
क्रम – ‘क’, ‘ख’, ‘ग’, ‘घ’। पहले ‘क’ = कर्म, फिर ‘ख’ = खाना, ‘ग’ = गाना, ‘घ’ = घंटा, जीवन झंकृत हो जायेगा। पर
अधर्म-द्रव्य
आचार्य अकलंकदेव – अधर्म-द्रव्य, लोक के आकार तथा स्थिति को बनाये रखने में निमित्त है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
कर्मोदय / पुरुषार्थ
कर्मोदय सताता/भटकाता नहीं कुछ समय के लिये अटका सकता है। कर्मोदय में पुरुषार्थ की कमी/रागद्वेष करने से भटकन/दु:ख होता है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
संस्कार
भगवान के संस्कारों की रक्षा के लिये देवियाँ भगवान की माँ के गर्भ को ६ माह पहले से शोधन करती हैं। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
ईश्वर
ईश्वर हमारे बिना भी ईश्वर है और ईश्वर ही रहेगा, पर हम ईश्वर के बिना कुछ भी नहीं रहेंगे। (सुरेश)
सक्रियता और पुद्गल
ज्यादा इंद्रियों तथा मन वालों में पुद्गल ज्यादा होते हैं तथा इनकी सक्रियता भी ज्यादा होती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी तत्त्वार्थ सूत्र में भी
अनुभव
हमेशा अपने अनुभव से काम करें, क्योंकि 50 ग्रंथों का सार… स्वयं का अनुभव ही है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
उपलब्धि / सुरक्षा
भक्त्तामर आदि मंत्रों/स्तोत्रों से उपलब्धि नहीं, सुरक्षा मिलती है, ये तो Commando हैं। ये मंत्रादि तथा गुरु/भगवान कमाई में सहायक नहीं, कमाई में तो हम
दिशा
बवंडर ख़ुद दिशाहीन/भ्रमित, औरों के भी विनाश में कारण। यदि हवा की दिशा निश्चित हो तो नाव को किनारे, सही दिशा में चलने वालों को
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