Month: July 2022
स्वाध्याय
“स्वस्य अध्याय: स्वाध्याय:” जहाँ अपना निजी आत्मतत्व पुष्ट होता है/ विकसित होता है, ऐसे शास्त्र पठन का नाम “स्वाध्याय” है। स्वाध्याय का अर्थ मात्र लिखना-पढ़ना
उत्तेजना
क्रोध, मान, माया, लोभ तथा काम-वासना की भी उत्तेजना होतीं हैं। उत्तेजना = कषाय आदि का तीव्र रूप, जिसमें कुछ भी करने को तैयार, मरने-मारने
सिद्धांत
जिस चीज़ की जितनी उपेक्षा, वह उतनी दूर रहेगी (कम सतायेगी) जैसे महमान/कर्म। मुनि आस्रवों पर 108 ताले, 3 गुप्ति के दरवाजे तथा इंद्रिय निरोध
कृतज्ञ्नी
सूअर नीचे गिरे फल ही नहीं खाता उस पेड़ की जड़ भी खा जाता है और ऊपर सिर उठाकर देखता भी नहीं है, गर्दन ही
सक्रियता
सक्रियता जीव (संसारी) व पुद्गल में ही होती है, अन्य द्रव्यों में नहीं। संसारी जीव में पुद्गल (कर्म) के माध्यम से आती है; जो जीव
व्रतियों की बढ़ती संख्या
व्रतियों की बढ़ती संख्या देखकर ऐसा नहीं लगता कि ब्रह्मचारियों/ब्रह्मचारिणीयों की भीड़ बढ़ती जा रही है ? आचार्य श्री – “अन्यथा शरणं नास्ति” ऐसा सोचकर
भोजन
साधु और शेर भोजन करके शांत, गृहस्थ और हाथी को जितना मिष्ठान/माल उतना उदंड। डॉक्टर भी मोटापा कम कराने के लिये मीठा बंद कराते हैं।
भगवान का स्वागत
ऋषभनाथ भगवान के आने से पहले इन्द्र ने अयोध्या में मन्दिर बनवाये जबकि भगवान तो कभी दर्शन/पूजा करते नहीं। भगवान को संसार में लाने वालों
शब्द / अर्थ / भाव
भाव प्रत्यय की ओर यात्रा तब होती है जब हमारा अर्थ प्रत्यय मज़बूत होता है। और अर्थ प्रत्यय यदि मज़बूत है तो निश्चित है कि
बाल उड़ना
पहले आगे के बाल क्यों उड़ते हैं ? प्रकृति Indication देती है – आगे वाला समय (पहले वाला) उड़ गया, अब वह तो पकड़ में
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