Month: August 2022
दर्शन
1. मोक्षमार्ग का प्रदर्शन (दर्शन पाहुण) 2. निर्ग्रंथ मुनि के दर्शन 3. मान्यता/मत 4. निराकार रूप ग्रहण (आकार/प्रकार को ग्रहण न करके) गुरुवर मुनि श्री
अच्छाई / मोह
अच्छाई मोह से बड़ी होती है। आपके दो बच्चे हों, दोनों से मोह होगा। यदि एक में अच्छाईयाँ हैं तो मोह बढ़ेगा, दूसरे में नहीं
अज्ञान / प्रमाद
अज्ञान उतना ख़तरनाक नहीं, जितना प्रमाद। आचार्य श्री विद्यासागर जी
आनंद
प्राय: पूरा आनंद/सुंदरता लेने/देखने के लिये 14 दिन पूर्णमासी का इंतज़ार करते रहते हैं। चंद्रमा की हर कला/आकृति की सुंदरता का नित्य 15 दिन आनंद
आयुकर्म
आयुकर्म का सम्बंध काल से नहीं बल्कि कर्म के निषेकों से होता है। उदीरणा में निषेक ज्यादा खिरते हैं। 7वें गुणस्थान में मुनिराज की आयुकर्म
ज्ञानी / अज्ञानी
अज्ञानी – विपत्तियों में पापोदय का रोना। ज्ञानी – विपत्तियों को पाप कर्मों की निर्जरा मानकर संतुष्ट। मुनि श्री सुधासागर जी
कान का कच्चा
कान का कच्चा कहावत कैसे बनी ? वह कान का कच्चा जो यह कहने पर कि तेरा कान कौवा ले गया, वह कौवे को पहकड़ने
बारह भावना
Biochemic में बारह अवयव होते हैं। शरीर में एक भी कम तो बीमार, हर मर्ज़ का इलाज़ भी इन बारह अवयवों से ही। बारह भावनाओं
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