Month: August 2022
कल्पवृक्ष
कल्पवृक्ष एकेंद्रिय होता है, तो वह इच्छायें कैसे जान लेता है ? उसका स्वभाव होता है जैसे sensor का, वह तो अजीव ही होता है।
निर्मलता
मन की निर्मलता अनेकांत से, वचन की निर्मलता स्याद्वाद से, काय की निर्मलता अहिंसा से आती है। (कमलकांत)
सम्बंध
आत्मा का कर्मों के साथ घनिष्ठ सम्बंध होता है इसीलिये दोनों सूक्ष्म साथ साथ जाते हैं। शरीर के साथ घनिष्ठ नहीं, शरीर स्थूल आत्मा सूक्ष्म
शब्द
शब्दों की कीमत नहीं होती, पर उनके सही/ग़लत प्रयोग से आपकी कीमत बढ़/घट जाती है। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
आकिंचन्य
दीक्षा के बाद मुनि श्री प्रणम्यसागर जी संघ में १०-१२ साल रहे, इसी आकिंचन्य भाव से Unnoticed रहे थे। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
अनुभय
ईसबगोल को गर्म पानी से लो तो कब्ज़ दूर, ठंडे से लो तो दस्त बंद। सादा पानी से लो तो ? पेट में जाकर प्रश्नचिन्ह
द्रव्य / तत्त्व
द्रव्य को समझो, उस पर श्रद्धा नहीं। श्रद्धा तत्त्व पर रखो, यही कल्याणकारी है। हालाँकि तत्त्व पराधीन है जैसे दीपक तथा बाती द्रव्य हैं, प्रकाश
आहार
आहार लिये बिना, आत्मा में विहार हो नहीं सकता। आचार्य श्री विद्यासागर जी
तीर्थंकर प्रकृति बंध
तीर्थंकर प्रकृति बंध का प्रारम्भ – 4-7 गुणस्थानों में, बाद में 8वें गुणस्थान की प्रारम्भ अवस्था तक होता रहता है। यह प्रथमोपशम, द्वितीयोपशम, क्षयोपशम या
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