Day: September 21, 2022

वीर्यांतराय

इन्द्रियों के बढ़ने से वीर्यांतराय का क्षयोपशम तथा आत्मा/ शरीर की शक्त्ति बढ़ती है। वीर्यांतराय का क्षयोपशम बढ़ने से ज्ञान बढ़ता है तथा ज्ञान बढ़ने

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निश्चित

जो निश्चित है, उस पर विश्वास न होने से संकल्प/विकल्प रूप मानसिक दु:ख होता है। निश्चित को मानने से संतोष आ जाता है जैसे मृत्यु

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मंगल आशीष

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