Month: September 2022
परोपकार / स्वार्थ
आम का पेड़ परोपकारी या स्वार्थी ? सबको मीठे-मीठे/स्वास्थवर्धक फल देता है, सो परोपकारी। पर इसके पीछे छिपा अभिप्राय – कि गुठलियों के बिखरने से
सम्यग्दृष्टि / मिथ्यादृष्टि
संसारी/ मिथ्यादृष्टि मोक्षमार्ग में दु:ख मानता है (संसार में सुख की खोज में लगा रहता है) इसलिये दु:खी रहता है। साधु/ सम्यग्दृष्टि मोक्षमार्ग में सुख
सही निर्णय/ समय
एक कंजूस सेठ ने सही निर्णय लिया कि वह अपनी सम्पत्ति दान कर देगा। पूछा कब कर रहे हो? मरने के बाद। हंसी का पात्र
सम्यग्दृष्टि
सम्यग्दृष्टि धर्म में झूठ/बेईमानी नहीं कर सकता, संसार में विपत्ति में कर सकता है। भगवान/गुरु पर गुस्सा नहीं कर सकता, संसार में रक्षा करने संकल्पी
संस्कार
आत्मा की बात सुनने के लिये संस्कार आवश्यक होते हैं। जैसे इंजेक्शन लगाने के लिये स्प्रिट। आचार्य श्री विद्यासागर जी
व्यवहार / निश्चय
दूध में घी होता है, इसको आचार्यों ने निश्चय कहा है। निश्चय ही घी की उपलब्धि है। निश्चय के लिये समीचीन व्यवहार अनिवार्य है। व्यवहार
सजीव / निर्जीव
दोनों ख़ुद गिर सकते हैं (समय के साथ निर्जीव), दोनों दूसरों को भी गिरा सकते हैं (निर्जीव जैसे जंग, लोहे को)….निकृष्ट। पर सजीव बन भी
अनुजीवी / प्रतिजीवी
अनुजीवी – चेतना के गुण, प्रतिजीवी – शरीर के, जैसे आयु, एक शरीर के बाद अगला शरीर मिलेगा। (तो आयु शरीर के साथ रहेगी। शरीर
संगठन
टेकड़ी गांव के एक परिवार में 58 सदस्यों में एक चूल्हा। संगठन का रहस्य जानने एक पत्रकार घर के बड़े सदस्य के पास पहुँचा तो
आत्मोत्थान
जैसे कपड़े चमकाने के लिये पहले धोते हैं, नील देते हैं, फिर प्रेस करते हैं। ऐसे ही आत्मा को चमकाने के लिये पहले आरम्भ-परिग्रह को
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