Month: September 2022

क्षमापर्व

खम्मामि सव्वजीवाणां, सव्वे जीवा खमन्तु मे। मैं पहले सब जीवों को क्षमा करता हूँ और अपेक्षा रखता हूँ कि सब जीव मुझे भी क्षमा करें।

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सासादन में मिथ्यात्व

पहले गुणस्थान में मिथ्यात्व की व्युच्छत्ति  होने  पर भी  सासादन में मिथ्यात्व कैसे ? योगेन्द्र ज्ञान को अज्ञान बनाने में कषाय भी कारण है। मिथ्यात्व

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उत्तम ब्रह्मचर्य

जब हम आत्मानुराग से भर गये हों, देहासक्ति से ऊपर उठ गये हों, वहीं ब्रह्मचर्य है। परिणामों की अत्यंत निर्मलता का नाम ब्रह्मचर्य है। मुनि

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ॐकार ध्वनि

ॐ द्वादशांग (जिनवाणी) का भी प्रतीक है। इसलिये कहा जाता है – ॐकाराय नमो नम: मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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उत्तम आकिंचन्य

अब कुछ करना नहीं, अब तो भावना और उपाय/साधना के फल आने शुरु हो गये, भरेपन का भाव आने लगा है। सहारे की भावना बुरी

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मोक्ष की डगर

मोक्ष की डगर सकरी/ पथरीली/ कठिन चढ़ाई वाली, इस पर यदि ऐसे ज्ञान की पोटली लेकर चलोगे जो इधर-उधर हिल रही है तो गिरने की

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उत्तम त्याग

अवगुणों को छोड़ने का मन बना लें, उन्हें ग्रहण न करें, इसी का नाम त्याग है। मुनि श्री क्षमासागर जी

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भू-शयन

भू मतलब मारबल/Tiles नहीं, इस पर सो कर तो एक मुनिराज को प्राणलेवा बीमार/समाधि हो गयी। मिट्टी वाली ज़मीन/लिपी हुई को भू कहते हैं। काष्ठ/

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उत्तम तप

विषय-भोग जीवन को मुश्किल में डालते हैं। तपस्या मुश्किल में नहीं डालती । तपस्या तो जीवन को आसान बना देती है। जिसके मन में निरन्तर

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छह द्रव्य

प्रकृति के छह बेटे, सबसे बड़ा जीव। चक्रवर्ती तो एक ही होता है, भरत। चार समताभावी/निष्क्रिय निमित्त – ९९ भाइयों जैसे। पुद्गल रूपी बाहुबली को

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मंगल आशीष

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