Month: November 2022
गुप्ति
गुप्ति = जिसके बल से आत्मा का गोपन (रक्षा) होता है। आगम की भाषा में जिसे गुप्ति कहते हैं, अध्यात्म में ध्यान। आचार्य श्री विद्यासागर
दया
दया के अभाव में शेष गुण कार्यकारी नहीं, दया गुण रूपी माला का धागा है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
श्रावक-धर्म
दान, पूजा, शील व उपवास ये 4 धर्म श्रावक के बताये हैं। शील का अर्थ स्वभाव/ ब्रह्मचर्य होता है। 5 इन्द्रियों के विषयों से विरति
अंतिम सीख
ऐसे मरीज़ों को क्या सीख दें जिनका अंत निश्चित/ करीब हो ? डॉ. पी. एन. जैन ऐसी बीमारियाँ/ स्थिति आने का मतलब है …उनका पुण्य
63 प्रकृतियों का नाश
क्षपक श्रेणी चढ़ते समय 60 प्रकृतियों का नाश हो जाता है पर 3 आयु (नरक, तिर्यंच, देव) का अस्तित्व चरम-शरीर के होता ही नहीं है।
गुरु-वचन
गुरु के द्वारा दिये गये सूत्र, मंत्र हैं। ये सूत्र शास्त्र से भी ज्यादा आनंद देने वाले/ छोटे तथा सरल रास्ते से मंज़िल दिलाने वाले
ध्यान
ध्यान के लिये – 1. शुभ Object का ज्ञान। 2. आत्मा पर श्रद्धान। 3. प्रत्याहार (अन्य Object पर से ध्यान हटाना)। 4. धारणा – शुद्ध
जन्म/मरण के परे
मोटी सी किताब में यदि बीच में एक ही पन्ना हो, पहले तथा बाद के सारे पन्ने फटे हों तो ज़िज्ञासा तो होगी न !
कर्म-बंध
श्री समयसार जी के अनुसार “प्रज्ञापराध” (उपयोग + अपराध) से ही (पाप) कर्म बंध होते हैं। जैसे हीरा देखा, हड़पने के भाव आये,
नकल में अकल
राजा के दरवाजे से एक भिखारी पीठ रगड़ रहा था। राजा को दया आयी कि इसका कोई साथी भी नहीं है, धन दिया। अगले दिन
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