Month: December 2022

लब्धि-अपर्याप्तक

लब्धि-अपर्याप्तक सिर्फ आर्यखंड में होते हैं, मलेच्छखंड, भोग भूमि, कुभोग भूमि, स्वर्ग तथा नरक में नहीं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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कल्याण

अपने कल्याण करने का सरल तरीका….दूसरों को अपना मानने से भी अपने कल्याण की शुरुवात होती है।

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क्षयोपशम सम्यग्दर्शन

क्षयोपशम सम्यग्दर्शन में दोष…. 1. चल दोष….चलायमान/ जल में प्रतिबिम्ब साफ नहीं दिखता जैसे ये प्रतिमा मैंने बनवायी। 2. मलिन….आकांक्षा/ मिथ्यादृष्टि की प्रशंसा। 3. अगाढ़….

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ध्यान

1. एक विषय में निरंतर ज्ञान का रहना ध्यान है। 2. मन को विषयों से हटाने का पुरुषार्थ ध्यान है। 3. ध्यान लगाने का नाम

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आगम-ज्ञान

महावीर भगवान के बाद 3 केवली…. गौतमस्वामी, सुधर्मास्वामी व जम्बूस्वामी, इनका 62 साल का काल रहा। फिर 5 श्रुतकेवली…. विश्व, नन्दीमित्र, अपराजित, गोवर्धन तथा भद्रबाहू,

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लक्ष्य

जीवन का लक्ष्य मनोरंजन नहीं, रमण है; बाह्य रमण (विषय-भोगों में) अधोगमन कराता है,पर गिरना ध्येय कैसे हो सकता है! अंतरंग/ आत्मा में रमण उर्ध्वगमन

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भाव

पहले गुणस्थान में औदायिक भाव मुख्यता से, द्वितीय गुणस्थान में पारिमाणिक भाव मुख्यता से, तृतीय गुणस्थान में क्षायोपशमित भाव मुख्यता से, चतुर्थ गुणस्थान में औपशमिक,

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भगवान की वाणी

भगवान की वाणी को भोजन की तरह पूरा खोलकर, हर किसी के सामने परोसते नहीं रहना चाहिये वरना उसका महत्त्व कम हो जाता है। उपदेश

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अपराधी

अपराधी… पर्याय होती है, निरपराधी…. त्रिकाली द्रव्य। (मनीष मोदी)

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धर्म

धर्म दो प्रकार का – 1. श्रावकों का…. अनुष्ठान की प्रमुखता, 2. श्रमणों (साधुओं) का…. अध्यात्म की प्रमुखता। आचार्य श्री विद्यासागर जी (क्योंकि श्रावकों का

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मंगल आशीष

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