Month: December 2022
सम्यग्दर्शन
सम्यग्दर्शन भाव-प्रणाली है। केवल चर्चा कर ली, वहीं तक सम्यग्दर्शन की परिणति मत रखो। सम्यग्दर्शन के 8 अंगों को प्रयोग में लाइये। आचार्य श्री विद्यासागर
व्यक्तित्व
व्यक्तित्व को शून्य रखें, ताकि कोई उसमें से कुछ भी घटा न सके। परन्तु जिसके साथ खड़े हो जाय, उसकी कीमत दस गुणा बढ़ जाय।
भावना / शक्ति
सोलहकारण भावनाओं में 14 “भावनायें” हैं, “शक्ति” सिर्फ 2 हैं (शक्तितसत्याग और तप)। सद्भावना पहले/ महत्त्वपूर्ण। शक्ति भावना के बाद में। मुनि श्री सुधासागर जी
जघन्य संख्या
जघन्य संख्या 2 से कम नहीं होती। “1” तो गणना के लिये होता है। “1” से किसी भी संख्या का गुणा/भाग करो तो वह संख्या
परिपक्व
पहले स्कूल में दाखिला उन बच्चों को मिलता था जो एक हाथ से दूसरी ओर का कान पकड़ लें। मुनिराज भी प्रतिदिन 3 बार अपने
मन:पर्याप्त्ति
मन की वह योग्यता जिससे अनभूत किये हुये को स्मृति में ला सके। द्रव्य-मन मनोवर्गणाओं से बनता है। भाव-मन द्रव्य-मन से, और भाव-मन काम करता
संस्कारों पर विजय
हींग की डिब्बी से गंध कैसे दूर हो ? 1. केसर को ज्यादा-ज्यादा मात्रा में बार-बार भरने से। बार-बार शुभ क्रियाओं से, अशुभ संस्कार खत्म
अरूपी / अमूर्तिक
जल जिस बर्तन में रहता है उसी का आकार ग्रहण कर लेता है, इसका अपना कोई आकार नहीं होता सो अमूर्तिक है। आत्मा भी ऐसी
दृष्टिकोण
Cracked कप को देखकर…. “अरे ! यह तो टूटने वाला है”…. नकारात्मक दृष्टिकोण। Crack ही तो है, टूटा नहीं है….सकारात्मक। (एकता-पुणे)
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