Month: January 2023

स्वाध्याय

“स्वस्थ अध्यायः स्वाध्यायः” ऐसा शास्त्र पठन जिससे निजी आत्मतत्व पुष्ट/ विकसित होता हो, वह स्वाध्याय है। मात्र लिखना/ पढ़ना स्वाध्याय नहीं बल्कि आलस्य/ असावधानी के

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आनंद

कमला बाई जी के 92 वर्षीय पति ने विधान (बड़ी पूजा) पूरा किया। उनसे पूछा…. क्या फल मिला ? आप और बाई जी का शारीरिक

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पुरुषार्थ / काललब्धि

श्री मोक्षमार्ग प्रकाशक के अनुसार पुरुषार्थ से ही काललब्धि आती है। जैसे सम्यग्दर्शन तभी जब कर्मों की स्थिति अंत:कोड़ाकोड़ी सागर की रह जाती है तो

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मायाचारी का फल

दो टोकरी बेचने वाले → लड़‌का चौकोर व लड़की गोल टोकरी बेचते थे। लड़का… अपन बदल कर लेते हैं। अगले दिन लड़के ने कुछ चौकोर

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करण में काल व परिणाम

अध:करण = सातिशय अप्रमत्त/ निचले करण परिणाम, परिणाम असंख्यात लोक प्रमाण (1 लोक के प्रदेश X असंख्यात लोक), अनेक जीवों की अपेक्षा, 1 जीव की

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दृष्टिकोण

अगर आपकी आँखें यह देखने में खोयी रहेंगी कि….. “क्या हो सकता था”, तो वे कभी नहीं देख पायेंगी कि…. “क्या हो सकता है”। अतीत

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संयमा-संयम

संयम भाव नहीं, व्रत है। इसीलिये 5वें गुणस्थान वाले को देशव्रती कहा है। प्रत्याख्यान कषाय से संयम-भाव नहीं होता है। कषाय तो कर्मकृत भाव है

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रिश्ते

पेड़ पर क्षमता से अधिक फल लग जायें तो शाखायें टूटने लगती हैं। इंसान के पास ज़रूरत से ज्यादा वैभव हो जाये तब वह रिश्ते

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उपशमन

उपशमन दो प्रकार का → 1. प्रशस्त…. करण-परिणामों से पूरा दबा दिया जाय(पूरे समय यानि अंतर्मुहूर्त तक)। 2. अप्रशस्त… बिना करण-परिणाम के जैसे अनंतानुबंधी का

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तेरा / मेरा

तू मेरा न बन सका, कोई बात नहीं; कम से कम अपना तो बन जा। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (अपना ही तो सब कुछ है,

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मंगल आशीष

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