Month: February 2023
प्रमाद / कषाय
पहले से छठे गुणस्थान तक जब भी प्रमाद आयेगा कषाय के उदय से ही आयेगा। पर 7वें गुणस्थान में कषाय तो रहेगी पर प्रमाद नहीं।
स्वीकृति
पुलिस अपराधी को तब तक पीटती रहती है जब तक वह अपराध स्वीकार नहीं कर लेता। हमको भी कर्म तब तक पीटते रहेंगे जब तक
मोहनीय कर्म
दर्शन-मोहनीय कर्म – “वस्तु, शरीर मेरा नहीं है” इस सत्य को स्वीकारता नहीं। चारित्र-मोहनीय कर्म – “वस्तु, शरीर दूसरे का है” पर भोगूँगा मैं। सत्य
दान
बिना कुछ दिये/ किये – रक्त दान – मीठे बोल से रक्त बढ़ना। श्रम दान – पीठ थपथपाने से थकान उतरना। अन्न दान – थाली
क्षयोपशम
सबकी शिकायत होती है कि याद नहीं रहता। पुरानी सुनी गालियाँ सब याद कैसे रहती हैं ? क्या “गालीवरण” का क्षयोपशम बहुत अच्छा है !
सेवा
सेवा….. 1. मन मिलाने का/ वात्सल्य पाने का उपाय है 2. कर्तव्यनिष्ठा है 3. दूसरों की सेवा, अपनी वेदना मिटाती है 4. नम्रता व प्रिय
विग्रह गति में वेद
जिस भाव-वेद के साथ जीव का मरण होगा, विग्रह गति में वही भाव वेद रहेगा। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
चाहना
शांति की इच्छा मत करो, इच्छाओं को शांत करो। चाह ज़र* से लगी, जी ज़रा हो गया, चाह हरि से लगी, जी हरा हो गया।
करण
करण यानि परिणाम/ भाव, पर व्यवहार में “करण-परिणाम” का प्रयोग 6 बार होता है → 1. प्रथमोपशम 2. क्षयोपशम सम्यग्दर्शन 3. विसंयोजना 4. द्वितीयोपशम 5.
मनुष्य / पशु
पशु के भय, आहार, मैथुन प्रकट होते हैं यानि कहीं भी/ कभी भी। विडम्बना यह है कि मनुष्य भी आज यही कर रहा है। उन्हीं
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