Month: March 2023

श्रावक / श्रमण

श्रावक चाहे क्षायिक-सम्यग्दृष्टि हो, तीर्थंकर प्रकृति का बंध कर चुका हो या विद्याएँ सिद्ध कर‌ चुका हो; और भले ही उस श्रमण के पास, जिसको

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क्रिया

क्रिया = जल छानना। अर्थ-क्रिया = जीवों की रक्षा के भाव से, जल छानना। निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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अपर्याप्तक के प्राण

1 इंद्रिय के 3 प्राण (स्पर्शन इंद्रिय, काय-बल, आयु), 2 इंद्रिय के 4 प्राण (3 + रसना), 3 इंद्रिय के 5 प्राण (4 + घ्राण),

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ज्ञान

भगवान के ज्ञान को जैसे का तैसा समझना/ समझाना चाहिये। नमक मिर्च लगाने से भोजन का असली स्वाद/ सत्य समाप्त हो जाता है, स्वास्थ्य/ आत्मा

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सम्यग्ज्ञान

जिस पदार्थ की जो उपयोगिता है उसे उसी रूप जानना: यह सम्यग्ज्ञान की “अर्थ-क्रिया” है; पदार्थ की प्रयोजनीयता है, जैसे कि घड़े की पानी जमा

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योग्य स्थान/हालात

खोई वस्तु को योग्य स्थान ( जहाँ वस्तु खोई हो) पर ही ढूंढ़ना चाहिये। यदि वहाँ अंधकार हो तो स्थान को प्रकाशित (ज्ञान) कर लें।

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असंयम

जैसे संयम-मार्गणा में “परस्परोपग्रहो जीवानाम्” होता है; वैसे ही असंयम-मार्गणा में “परस्परोपद्रवो जीवानाम्” होता है। उपद्रवों से बचने के लिए संयमी बनें। आवश्यकताएँ कम करें;

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मरण

सुमरण…. भगवान का नाम लेते हुए मरण। समाधि मरण…. क्रमश: भोजनादि छोड़ते हुए भगवान के स्मरण के साथ मरण। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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प्रथमानुयोग

जिन लोगों को करुणानुयोग/द्रव्यानुयोग में बहुत रुचि होती है, उनके लिये भी प्रथमानुयोग गाय दुहने से पहले, बछ्ड़े लगाने जैसा है। प्रथमानुयोग पढ़ने से दूध

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सामूहिक

Fire Place में बीच में एक लकड़ी का बड़ा टुकड़ा जल रहा था। आसपास छोटे-छोटे टुकड़े धीरे-धीरे जल रहे थे। बड़े टुकड़े को हटा दो

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मंगल आशीष

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March 31, 2023