Month: May 2023
आत्मा अचेतन !
अस्तित्व, वस्तुत्व आदि गुणों की अपेक्षा आत्मा अचेतन है। आचार्य श्री विद्यासागर जी (स्वरूप सम्बोधन पंचविशंति – गाथा 3 – अकलंकदेव)
कर्म फल
लाठी से सिर फूटता है, पर (सिर्फ) लाठी कभी सिर फोड़ सकती नहीं। दुःखी कर्मों से होते हैं, पर कर्म दुःखी कर सकते नहीं। उनके
संक्लेश
तीन मोड़े लेने वाले जीव का संक्लेश, उत्कृष्ट पहले मोड़े के समय तथा जघन्य योनि स्थल के करीब पहुँचने पर होता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर
धर्म / पुण्य / साता
धर्म साता के साथ… पुण्य + साता का बंध धर्म असाता के साथ… पुण्य + असाता का बंध अधर्म असाता के साथ… पाप + असाता
प्रत्यक्ष / परोक्ष
प्रत्यक्ष से देखे/ सुने का वर्णन परोक्ष से ही सम्भव होता है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
संवेदना
संस्मरण… मेरे आँगन में एक अमरूद का पेड़ है। अचानक उसमें से गंदा-गंदा रस टपकने लगा। दवायें प्रयोग की गयीं पर लाभ नहीं हुआ। तब
मति/श्रुत ज्ञान
शब्द यदि अपरिचित है जैसे सुमेर (क्योंकि जिनवाणी से सुना है, देखा नहीं) तो अर्थ का ज्ञान; यदि परिचित है तो अर्थ से अर्थांतर का
गुरु दर्शन
गुरु सिर्फ दर्शन (देखने) की चीज़ नहीं, उनके दर्शन आत्मदर्शन करने में निमित्त हैं। जिन लोगों से धर्म की प्रभावना होती है (या धार्मिक आयोजनों
धार्मिक क्रियायें
आत्मा में डूबना, जैसे पक्षी का आसमान में बिना पंख चलाये आनंद लेना। धार्मिक क्रियायें पंख चला कर फिर आत्मा में पहुँच जाना/ नीचे गिरने
अंत में भावना
मेरा यहाँ क्या ? आशीष फल रहा है शीर्ष जाकर बैठूं, शेष रह गया है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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