Month: June 2023
ॐ/ओंकार
ॐ शब्द है, ओंकार, ॐ की ध्वनि; अर्थ भेद नहीं। भगवान की ओंकार ध्वनि होती है। आचार्य श्री विद्यासागर जी
बोल
बोलना तो सभी को आता है। किसी की ज़ुबान बोलती है, किसी की नियति; पर जब इन लोगों का “समय” बोलता है तब इनकी बोलती
विभंग ज्ञान
इसका अर्थ… मिथ्यात्व या अनंतानुबंधी के उदय से अवधिज्ञान की विशिष्टता/ समीचीनता भंग होकर अयथार्तता आ जाती है। जीवकाण्ड-गाथा- 307
बौद्ध/जैन दर्शन
बौद्ध दर्शन…न अति काम, न अति कष्ट। जैन दर्शन… न काम, न कष्ट। मुनि श्री प्रमाणसागर जी
वाच्य-वाचक सम्बन्ध
जो पदार्थ जिस शब्द के द्वारा कहा जाता है, उस शब्द के द्वारा पदार्थ से सम्बन्ध जुड़ गया जैसे जीव शब्द सुनते ही आत्मा की
कर्ज़
पहले कर्ज़ से डरते थे, मरण से नहीं; आज मरण से डरते हैं, कर्ज़ से नहीं। मूल “स्वत:” का, ब्याज “पर” का होता है। आचार्य
क्षयोपशम
क्षयोपशम 2 प्रकार का – 1. कर्मरूप… सम्यग्दृष्टि तथा मिथ्यादृष्टि दोनों के होता है। 2. भावरूप… सम्यग्दृष्टि के ही, सम्यग्दर्शन होने तथा बनाये रखने के
वैराग्य / संसार
पुत्र के वैराग्य भावों से डरकर पिता ने उसे सुरा-सुंदरियों से घिरवा दिया। बेटे ने सन्यास न लेकर संसार ही चुना। 1. उसके जीवन का
कषाय / पाप / व्रत
कषाय कारण हैं, पाप कार्य। पाप को कम/ समाप्त करने के लिये व्रत। व्रतों (देशव्रत) को द्रढ़ करने के लिये गुणव्रत, प्रगति के लिये शिक्षाव्रत।
अब
“अब” के पास आने के लिये “तब” और “कब” का सम्बन्ध तोड़ना होगा। आचार्य श्री विद्यासागर जी
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