Month: July 2023

अरहंत के मन

संसारी के वचन, मन पूर्वक ही। ऐसा मन सयोगी के नहीं, इसलिये मन उपचार से कहा क्योंकि वचन की प्रवृत्ति तो हो रही है। उपचार

Read More »

पुरुषार्थ

तुम अगर चाहते तो बहुत कुछ कर सकते थे, बहुत दूर निकल सकते थे। तुम ठहर गये, लाचार सरोवर की तरह; तुम यदि नदिया बनते

Read More »

भक्ति

भरत चक्रवर्ती को अवधिज्ञान भगवान की भक्ति के बाद प्राप्त हुआ था। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड- गाथा 371)

Read More »

राग / मोह

पहले राग होता है फिर उसमें विकल्प होते हैं तब वह मोह का रूप ग्रहण कर लेता है। क्षुल्लक श्री सहजानंद जी

Read More »

चरणों में कमल

भगवान के विहार के समय चरणों में कमल रचना चारों ओर क्यों ? शायद इसलिये कि भगवान किसी भी दिशा में विहार कर सकते हैं।

Read More »

छिनना / मिलना

बेहतर, छिनने पर विश्वास रखें; (कि) बेहतरीन मिलने वाला है। जिज्ञासा….पैसे छिन जाने पर क्या बेहतरीन मिलेगा ?… रविकांत पूर्व में आपने किसी के पैसे

Read More »

मूर्ति

कृत्रिम मूर्ति को अकृत्रिम की तरह रंग ऊपर से लगाना परिग्रह में आयेगा जैसे मुनियों के बालों के काले रंग में दोष नहीं, ख़िज़ाब लगाना

Read More »

स्वभाव

स्वभाव – देखना, जानना। विभाव – बिगड़ना। इसलिए कहा – देखो, जानो, बिगड़ो मत। आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

जीवों के भेद

अंडे देने वाले जीवों के कान बाहर नहीं होते जैसे कछुआ, मगरादि, बच्चे देने वालों के बाहर जैसे गाय, घोड़ादि। अनीता जी – शिवपुरी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

July 16, 2023