Month: August 2023
आहारक शरीर
जब मार्णांतिक समुद्धात ढ़ाई द्वीप के बाहर भी होता है तो आहारक शरीर क्यों नहीं जाता ? जहाँ तक मनुष्य जा सकता, वहीं तक मुनिराज
ऊँचाई
ऊँचाई पाने के लिये गहराई में जाना जरूरी है, तो गहराई कैसे पायें ? बीज अपने आपको मिटा कर ही गहराई (जड़) तथा ऊँचाई प्राप्त
पूजा
पूज्यं जिनं त्वाऽर्चयतो जनस्य,सावद्य-लेशो बहु-पुण्य-राशौ। दोषाय नालं कणिका विषस्य,न दूषिका शीत-शिवाम्बु-राशौ ॥58॥ (आचार्य समंतभद्र कृत स्वयंभूस्तोत्र) विष की कणिका सुधाकर में अमृत बन जाती है।
अध्यात्म
आज Car की कीमत बहुत है, कल को गैराज की कीमत कार से ज्यादा हो जायेगी। पर इन दोनों से ज्यादा कीमती है थी/ है
संहनन
प्रवचनादि सुनते समय भी चक्रवर्ती जैसी सुख सुविधा सजा कर बैठते हो, तभी तो चक्रवर्ती के चक्र (पंखे) चलाकर बैठते हो। तब चक्रवर्ती जैसा संहनन
इज़्ज़त
(एकता- पुणे) ( यदि सहायता करने वाले की खुद की स्थिति भी खराब हो तो दुगनी इज़्ज़त कीजिए)
उपभोग
मुनियों का उपभोग – प्रवचन, आहार क्रिया, पर रागद्वेष रहित, इसलिए बंध नहीं। श्रावकों का रागद्वेष सहित सो बंध का कारण। श्रावक कम से कम
रक्षण / पालन
व्रती अपने व्रतों का रक्षण व पालन वैसे ही करते हैं जैसे माता-पिता अपने बच्चों का पालन (आगे बढ़ाने) तथा रक्षण (सही भोजन,पढ़ाई आदि)। बच्चे
ज्ञानों के काल
मति, श्रुत, अवधि, मन:पर्यय अपने विषयों में वे अन्तर्मुहूर्त (वह भी कम समय का) तक ही बने रहते हैं। फिर ज्ञानोपयोग बदल जाता है या
परिवार / धर्म
परिवार कमियों के साथ स्वीकारा जाता है। धर्म में कमियों को सुधारा जाता है। चिंतन
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