Month: September 2023

आत्मा

आत्मा की पहचान प्राणों से होती है इसलिए व्यवहार नय से उसे “प्राणी” कहा। जिस अवस्था में १० प्राणों में से कोई प्राण धारण नहीं

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क्रोध

रे जिया ! क्रोध काहे करै ? वैद्य पर विष हर सकत नाही, आप भखऔ मरे। (दूसरे का विष उतारने को वैद्य के विष खाने

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अनुराग

धर्म में तो अनुराग को बुरा कहा फिर धर्मानुराग को अच्छा क्यों कहा? ताकि संसानुराग कम होते-होते वीतरागी बन सकें। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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माध्यस्थ मार्ग

कुण्डलपुर यात्रा में टैक्सी ड्राइवर माध्यस्थ Speed से चल रहा था (80/90 k.m./h)। कारण ? पेट्रोल बचाकर इनाम पाया (1 हजार रुपये का)। हम भी

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ऊर्जा ग्रहण

चारौं परमेष्ठियों की ऊर्जा महसूस करते हैं, सिद्ध भगवान की कैसे ग्रहण करें ? ऊर्जा किसी न किसी माध्यम से मिलती है जैसे बिजली, बल्बादि

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भगवान दर्शन

जिसको पाषाण में भगवान के दर्शन होते हैं, एक दिन उसे साक्षात भगवान के दर्शन हो जाते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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मोक्षमार्ग

हमारी मोक्षमार्ग में गति क्यों नहीं ? बंदर को 10 फीट के खम्बे पर चढ़ना है। 1-2 फीट चढ़ता है, 1-2 फीट सरक जाता है।

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उपयोगिता

दर्पण का मूल्य भले ही हीरे के सामने नगण्य हों, पर हीरा पहनने वाला दर्पण के सामने ही जाता है। (एन.सी.जैन- नोएडा)

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श्रुत को समझना/समझाना

अनभिलप्य = जो कहने योग्य नहीं। उसका अनंतवां भाग कहने योग्य = प्रज्ञापनीय। उसका अनंतवां भाग श्रुत में लिपिबद्ध क्योंकि शब्दों की सीमा बहुत छोटी

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Ritual / Spiritual

Ritual → भगवान को मानना/ धार्मिक क्रियाएँ करना। Spiritual → भगवान की मानना/ धर्मात्मा। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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