Month: October 2023

पूज्यनीय / दर्शनीय

ऐसी प्रतिमाएँ जो थोड़े समय के लिये जिनमुद्रा में/ बिना श्रृंगार के रहतीं हैं, दर्शनीय तो हो सकतीं हैं, पूज्यनीय नहीं/ सम्यग्दर्शन की प्राप्ति में

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पाप / पुण्य

हस्तिनापुर पापियों की राजधानी, जो पहले समृद्ध थी, वह आज गाँव है। इन्द्रप्रस्थ पुण्यात्माओं की राजधानी, आज देश की राजधानी है (दिल्ली)। निर्यापक मुनि श्री

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कुल / जाति

एक से चार इन्द्रियों तक नर/ मादा नहीं तो उत्पत्ति कैसे ? कुल व जाति के परमाणुओं के मिलने से। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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धोखा

पहली बार धोखा देने वाले को शर्म आनी चाहिए। दूसरी बार धोखा/ अहित/ नुकसान खाने वाले को शर्म आनी चाहिए क्योंकि आपने अपने आपको संभाला

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अजीव / पुद्गल

पुद्गल को अजीव में इसलिए रखा क्योंकि इसमें भी अजीवत्व पाया जाता है। चार विशेष गुणों वाला होने से पुद्गल कहा। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर

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आदिनाथ/महावीर भगवान

आदिनाथ भगवान ने जीवों को जीना सिखाया (कृषि आदि षट्कर्म बता कर)। महावीर भगवान ने जीवों को मरने से बचाया। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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दिगम्बरत्व

जो भेष/ परिधान दूसरों के लिये, उससे अपना भला कैसे होगा ! दिगम्बरत्व अपना, उससे अपना भला/ कल्याण अवश्य होगा(दूसरों का भी)। निर्यापक मुनि श्री

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दर्द

दर्द दिया नहीं जाता, लिया जाता है। यदि आप लेना न चाहें तो कोई दे नहीं सकता। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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क्षयोपशमिक भाव

5 ज्ञानों में से 4 क्षयोपशमिक हैं। क्षयोपशम में 3 क्रियाएँ होती हैं। – 1 कुछ सर्वधाती स्पर्धकों (शक्तियों) को बदल देते हैं यानि उन्हें

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विशेष

स्वर्ण में चकाचौंध नहीं, नकली ज्यादा चमकीला होता है। ऐसे ही सही मायने में बड़े/ ऋद्धिधारी सहज होते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी (फिर हम

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मंगल आशीष

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