Month: November 2023

योग / क्रिया

कई क्रियायें एक साथ दिखतीं हैं जैसे पूजा करते समय, पर योग एक समय पर एक ही होगा। क्रिया लम्बे समय तक की होती है,

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सच्चाई

अच्छाई के माध्यम से ही सच्चाई का दर्शन होता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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ग्रंथ

छह ढ़ालादि की शुरुवात नरक के वर्णनों से क्यों ? नीचे से ऊपर प्रगति का प्रतीक होता है। (कहा है…भीति से प्रीति, यहाँ धर्म से)

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सिद्ध करना

चीते और कुत्ते की दौड़ में, कुत्ता जी-जान से दौड़ा पर चीता दौड़ा ही नहीं। कारण ? चीते को अपनी Superiority सिद्ध करने की ज़रूरत

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विक्रिया / वैक्रियक शरीर

विक्रिया में वैक्रियक शरीर नहीं बनता क्योंकि विक्रिया करने वाला औदारिक शरीर है, इसलिए विक्रिया में वैक्रियक वर्गणायें ग्रहण नहीं करता, ना ही अपर्याप्तक अवस्था

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कर्म / धर्म

कर्म, धर्म की ओर ले जाता है, धर्म, कर्म को अनुशासित करता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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आहारक ऋद्धि

आहारक ऋद्धि में आहारक कर्म का बंध/ उदय होता है। अन्य ऋद्धियों में तप से विशेष शक्तियाँ आतीं हैं। 48/64 ऋद्धियों में आहारक ऋद्धि नहीं

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समता / ममता

समता और ममता सौतन है। एक को ज्यादा महत्त्व दिया तो दूसरी रुठ जाती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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उपांग

उपांग में उँगली, नाक, कानादि के अलावा अंतरंग अवयव भी आते हैं, जैसे हृदय, आँख की अंतरंग रचना आदि। निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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चैन

अमीर के जीवन में जो महत्व “चैन” से “सोने” का है, गरीब के जीवन में वही महत्व “सोने” की “चैन” का है। (सुरेश)

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मंगल आशीष

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November 25, 2023

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