Month: November 2023

एकेन्द्रिय

तत्त्वार्थ सूत्र में एकेन्द्रिय का जो क्रम दिया है वह वैज्ञानिक है – पहले पृथ्वी, इसके आधार से जल रहता है; पृथ्वी और जल से

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उदारता

सूरज उनको भी प्रकाशित करता है जो उसे सम्मान नहीं देते। बस प्रकाश को ग्रहण करने का पुण्य होना चाहिये (आँखों में देखने की क्षमता)

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तीर्थंकर प्रकृति

भगवान की तीर्थंकर प्रकृति के उदय का अनुभाग तथा उदीरणा कम होने लगती है तब भगवान समवसरण छोड़ देते हैं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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बदलाव

मोबाइल में ढेरों सूचनायें जमा होने पर वह काम करना बंद कर देता है, तब नया लेना बेहतर है। हमारे मन में लोगों के प्रति

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पत्ते वाली सब्जियाँ

पालक, मैथी, बथुआ आदि सब्जियों में पकाव नहीं। इसलिये अनन्त जीवों सहित हैं। “प्रत्येक” हैं पर इनकी प्रत्येकता ग्रहण में नहीं आती है। मुनि श्री

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विनम्रता

घमंड की अनुपस्थिति का नाम विनम्रता है। मुनि श्री विनम्रसागर जी

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सम्यग्दर्शन

आत्मा तो दिखती नहीं सो आत्मानुभव से सम्यग्दर्शन नहीं कहा। पुदगल दिखता है सो सही/ गलत पुदगल को वैसा का वैसा (सही को सही, गलत

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ख़ामी / खूबी

जो तलाशता है उसे ख़ामी नज़र आती है। जो तराशता है उसे खूबी नज़र आती है।। (सुरेश)

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चल/अचल प्रदेश

स्वाध्याय में हम अवस्थित (अचल) पर प्रदेश चल। आयुकर्म के पूर्ण अभाव पर स्थावर जीव भी चलित। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा – 592)

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आयोजन

आयोजनों से यदि मन की विशुद्धि बढ़ानी है तो आयोजन करने का प्रयोजन ध्यान में रखना होगा। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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मंगल आशीष

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