Month: December 2023
कषाय
बिना मन वालों की कषायें कम होती हैं और सीमा में रहतीं हैं, स्थितिबंध कम पर संक्लेश हर समय, डरादि के कारण। मन वालों में
वचन
दावतों में Costly Items परोसने के लिये कहा जाता है → ढीले हाथ से मत परोसना। शब्द भी बहुत कीमती हैं, उन्हें ढीले हाथ(लापरवाही/ खुले
रस-परित्याग
“परि” का प्रयोग “परिचय” आदि में होता है। लगता है… जाने पहचाने रसों के त्याग के लिये प्रयोग हुआ है। चिंतन
शिक्षक / गुरु
जो मात्र किताबी शिक्षा दे, वह शिक्षक। इनसे पढ़ने वाले छात्र कहलाते हैं। ये शिक्षा Career/ पैसा कमाने के लिये। गुरु शिक्षा के साथ Implementation
बुद्ध
बुद्ध 2 प्रकार के – 1) प्रत्येक बुद्ध – जो स्वयं ज्ञान प्राप्त करते हैं। 2) बोधित बुद्ध – जो पर-उपदेश से प्राप्त करते हैं।
धर्म
श्रावकों (गृहस्थ) का धर्म नैमित्तिक (पर्व/उत्सव) होता है; साधुओं का हर समय। आचार्य श्री विद्यासागर जी
परिहार-विशुद्धि
परिहार-विशुद्धि मुनिराजों के 6-7 गुणस्थान में ही क्यों ? आगे के गुणस्थानों में क्यों नहीं ?? क्योंकि वे हमेशा प्रवृत्ति में ही रहते हैं। मुनि
शिष्य / भक्त
शिष्य जो गुरु चरणों में चढ़ जाये, यानी गुरु दर्शन करके लौट न पाये। भक्त गुरु दर्शन करके लौट जाये। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
जबाब / प्रतिक्रिया
ख़ामोशी हर सवाल का बेहतरीन जबाब है। और मुस्कुराहट हर हालात की बेहतरीन प्रतिक्रिया। (सुरेश)
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