Month: December 2023
रूप
पुत्र कागज़ पर लिखा…शब्दरूप; सामने खड़ा……………द्रव्य रूप। इससे काम नहीं चलेगा। जब उसे “ज्ञान रूप” मानोगे तब भला होगा। ऐसे ही आत्मा को शब्द, द्रव्य
अभव्य-सिद्ध
अभव्य को अभव्य-सिद्ध कहा यानी अभव्य दशा में सिद्धि है। (सिद्धि = जो जिस रूप में है, उसी रूप रहेगा) ऐसे ही यदि अज्ञान में
धरती
धरती, धैर्य शब्द से बना है, धैर्य का सबसे बड़ा प्रतीक। धरती तो माँ का रूप है जो अपने बच्चों की गंदगी को साफ करती
स्कंध / वर्गणा
वर्गणा में Pattern होता है। वर्ग एक समान शक्ति/संख्या वाले अणुओं को ग्रहण एक – एक अणु बढ़ाते-2 अनंत तक भी जा सकते हैं पर
स्वयंसेवक
कुंडलपुर मंदिर निर्माण के अवसर पर … नींबू को संतरे में मिलाने से नारंगी। ऐसे ही बड़े-बड़े प्रासाद/ मंदिर बनाने में बड़े-बड़े पत्थर प्रयोग होते
लक्ष्मण-रेखा
सीता जी ने लक्ष्मण-रेखा की वजह से कितना कष्ट उठाया। हम घर में कीड़े-मकोड़ों के लिये आये दिन लक्ष्मण-रेखा खींचते रहते हैं। कितने जीवों को
कर्तव्य
कर्तृत्व* का भाव कर्तव्य से विमुख कर देता है। *कर्ता भाव आचार्य श्री विद्यासागर जी
द्रव्य-श्रुत ज्ञान
जितने शब्द उतने द्रव्य-श्रुत। निगोदिया जीवों के भी द्रव्य-श्रुत ज्ञान होता है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
Quality
“You always attract people by the quality you display. But, you always retain people by the quality you possess.” (J.L.Jain)
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