Month: December 2023
सामायिक
सामायिक – महाव्रती खड़गासन में, देशव्रती पद्मासन में, अविरती लेट कर भी, मिथ्यादृष्टि लेटकर करवटें बदलता रहता है, सामायिक करता ही नहीं। चिंतन
शरीर / आत्मा
शरीर देवालय है, आत्मा देव। देव की पूजा/ साधना के लिये देवालय होता है। पर प्रीति तो देव से ही, देवालय से न प्रीति ना
मायाचारी
मायाचारी धोखा देने के लिये ही नहीं, अपनी रक्षा के लिये भी प्रयोग होती है। विशेष रूप से कमज़ोरों के द्वारा, इसीलिये स्त्रीयों में यह
अतीत
अतीत का तो मरण हो चुका है। पर हम स्वीकारते नहीं, उसमें बार-बार, घुस-घुस कर सुखी/ दुखी होते रहते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी
पुरातत्व
पुरातत्व (सिर्फ प्राचीनता) से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है “पूरा तत्त्व” (प्रतिमा का संरक्षण)। (कुण्डलपुर मन्दिर निर्माण के अवसर पर) आचार्य श्री विद्यासागर जी
दु:ख / संघर्ष
एक बहुत गरीब पिता के बेटे के IAS बनने के अनुभव/ शिक्षा….. जीवन में कठिनाइयाँ हैं/ आयेंगी, उनसे संघर्ष का नाम ही जीवन है। दु:ख
ज्ञान
ज्ञान निष्क्रय गुण है। ज्ञानी द्रव्य (Matter) है। ज्ञान आकुलता देता है, इसलिये ज्ञानी नहीं ज्ञायक बनें। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
खेती
“मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती…” यानी खेती वह जिसमें हीरे मोती पैदा होते हों। मछली आदि की खेती कैसे हो गयी
मिश्र-वर्गणायें
आचार्य श्री के अनुसार ये भिन्न प्रकार की होती हैं क्योंकि सर्वार्थसिद्धि में सप्तविध वर्गणायें बतायी हैं, 7वीं मिश्र होने पर ही बनेंगी। मुनि श्री
ज़रुरत / कृपा
कोठी में छप्पर नहीं तो ऊपर वाला छप्पर फाड़ कर कैसे देगा ! आचार्य श्री विद्यासागर जी
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