Month: January 2024
मतिज्ञान
क्या मतिज्ञान अवग्रह से धारणा तक क्रम से ही जायेगा ? निधि-मुम्बई क्रम से भी जायेगा, अवग्रह पर ही रुक सकता है या सीधा अवग्रह
शरीर और आत्मा
बचपन, युवावस्था, वृद्धावस्था में शरीर अलग-अलग पर आत्मा एक। यदि वृद्धावस्था को स्वीकार लिया तो जीवन में निराशा, यदि अपने को आत्मा मान लिया तो
राग
राग को तो बुरा कहा, फिर धर्मानुराग अच्छा कैसे ? धर्म को बहुमान देने/ अपने में धारण करने के लिये धर्म से और धर्म धारण
Start
Nobody can go back and start a new beginning, but anyone can start today and make a new ending. (Mayank Pandya)
उपसर्ग-केवली
उपसर्ग-केवली के अंगभंग होने के बाद अंग बनना तर्कसंगत नहीं है। ये वज्रवृषभ नाराच संहनन वाले ही होते हैं, उनके अंगभंग होते भी नहीं। मुनि
ज़िदगी
ज़िंदगी दो हिस्सों में ख़त्म हो जाती है -> 1. अभी उम्र नहीं है। 2. अब उम्र नहीं रही। (सुरेश)
उदयाभावी क्षय
उदयाभावी क्षय… उदय का अभाव रूप क्षय। जो कषाय उदय में आने के एक समय पहले ही अन्य कषाय रूप परिवर्तित होकर उदय मे आये।
भगवान के दर्शन
यदि भगवान अचानक आपके सामने आ जायें तो क्या करोगे ? पहले Confirm करें; भगवान ख़ुद आये हैं या हम भगवान के पास गये हैं।
मिथ्यात्व पर श्रद्धान
यदि यह श्रद्धान पक्का हो जाय कि संसार का कारण मिथ्यात्व है तो यह सम्यग्दर्शन उत्पन्न करने में निमित्त बन सकता है। आचार्य श्री विद्यासागर
परिक्रमा
भगवान/ गुरु की परिक्रमा क्यों ? सीमा निर्धारण, मेरा तेरे अलावा इस सीमा के बाहर कोई और नहीं। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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