Month: January 2024

ज्ञान / चारित्र

हिताहित का पूरा ज्ञान होने पर भी चारित्र अंगीकार क्यों नहीं करते ? योगेन्द्र चारित्र-मोहनी का उदय दो तीव्रता का → 1. तीव्र → जिसमें

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दौड़ का फल

सारी ज़िंदगी की दौड़ का महनताना भी खूब है, चेहरे पर झुर्रियाँ अपनों से दूरियाँ।

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लक्ष्य

हमारे जीवन का लक्ष्य हल्का होने का होना चाहिये। कर्मों से हल्का कैसे ? नित्य हिसाब लगायें/Balance Sheet बनायें, कितने कर्म कटे/ कितने बंधे। अधिक-अधिक

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महत्वपूर्ण दिवस

दो दिन जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण होते हैं – एक जब आप पैदा होते हैं और दूसरा जब आप जानते हैं कि क्यों? आचार्य श्री

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सिद्धों में भोगादि

भोग → प्रति समय आत्मा में ज्ञान/ चैतन्य भाव। उपभोग → वही रस बार-बार समयों में भोगना। जैसे अनार रस पहले घूँट में भोग, बार-बार

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संयास

दर्पण कभी न रोया हो न हंसा ऐसा संयास। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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अतिशय

चौथे तथा पंचम काल के अतिशयों में क्या अंतर होता है ? चौथे काल के अतिशय सिद्धक्षेत्र बन जाते थे, पंचम काल के अतिशय क्षेत्र

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मोह

गधे को देखा, लगातार बोझा ढो रहा था, मार भी खा रहा था। पूरा जीवन उसका ऐसे ही निकलेगा। फिर कोई पूछेगा भी नहीं। हमारी

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क्षायिक लाभ

अनंत गुणों का अनंतकाल के लिये लाभ को क्षायिक-लाभ कहते हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 2/5)

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मूर्ति का महत्व

प्रत्यक्ष से ज्यादा उसकी कल्पना में आनंद आता है। कल्पना का अंत नहीं, साक्षात दर्शन के बाद अंत आ जाता है। मूर्ति के निमित्त से

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मंगल आशीष

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January 11, 2024