Month: February 2024
सूक्ष्म एकेन्द्रिय
सूक्ष्म एकेन्द्रिय का उदाहरण –> वायुमण्डल में गैसें। मुनि श्री प्रणम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान – 7. 5. 22)
तप
तप से/ताप (गर्मी) से हम बहुत घबराते हैं। जबकि ताप के बिना न अनाजादि पैदा होगा, ना ही उसे पचा (जठराग्नि) पायेंगे। आचार्य श्री विद्यासागर
लब्धि
1. पाँच लब्धियाँ.. सम्यग्दर्शन होने से पहले (5 Achievements) 2. क्षायिक लब्धि.. कर्म क्षय होने पर आत्मा को गुण प्राप्ति। 3. क्षयोपशम लब्धि.. कर्म के
किससे बचना ?
अपरिचित से ज्यादा परिचित से बचो। आचार्य श्री विद्यासागर जी (अपरिचित से तो सावधान रहते हैं, परिचित से नहीं तथा मोह में भ्रमित भी रहते
Short Form
हम सब को, हर चीज़ का Short Form बहुत प्रिय है, उसकी Demand बहुत है। पंच परमेष्ठी का Short Form है… “ॐ नमो नम:” आचार्य
सल्लेखना
क्षु.जिनेन्द्र वर्णी जी आचार्य श्री के सानिध्य में सल्लेखना ले रहे थे। एक बार आचार्य श्री को सम्बोधन करने में देरी हो गयी। तब वर्णी
मोक्षमार्गी
अविरत सम्यग्दृष्टि –> कारण-मोक्षमार्गी। रत्नत्रयधारी ही —–> कार्य-मोक्षमार्गी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
वेग
1. वेग – काम करने की गति सामान्य/ कुछ अधिक। 2. आवेग – व्यक्ति के भावों में उछाल आता रहता है। 3. उद्वेग – उद्वलित/
अर्थ पर्याय
अर्थ पर्याय दो प्रकार की – 1. विभाव अर्थ पर्याय – मिथ्यात्व/ कषाय से। 2. स्वभाव अर्थ पर्याय -अगुरुलघु गुण से। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर
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