Month: June 2024
सामायिक संयम
सामायिक संयम सब संयमों (प्राणी, इंद्रिय, अहिंसादि – 5 व्रत) का संग्रह है। बड़ी कठिनाई से प्राप्त होता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीव काण्ड
वचन
वचन 2 प्रकार – 1. शिष्ट प्रयोग 2. दुष्ट प्रयोग कुल 12 प्रकार के, इनमें 11 दुष्ट प्रयोग, जैसे अव्याख्यान (टोकना), कलह। शिष्ट प्रयोग –
भगवान के मस्तिष्क
भगवान के मस्तिष्क नहीं होता। दिमाग तो शरीराश्रित होता है, सिद्ध के शरीर नहीं (अरिहंत के Inactive)। मस्तिष्क नहीं सो राग द्वेष नहीं। मुनि श्री
पर्याप्त
संसार में प्राप्त को पर्याप्त मानने को कहा, तो परमार्थ में ? दोनों में एक ही सिद्धांत… अपनी-अपनी क्षमतानुसार, आकुलता रहित, पूर्ण पुरुषार्थ। दोनों ही
निमित्त-नैमित्तिक संबंध
नरक में शुभक्रिया करना भी चाहो तो भी अशुभ हो जाती है। शराब का नशा पुलिस की पिटाई से उतर जाता है। आयुर्वेद में उत्तर/
स्वर्ग / नरक
गुफा ने सूर्य को दुखड़ा रोया… हर जगह/ हर समय अंधकार ही अंधकार क्यों है ? सूर्य देखने आया पर गुफा का हर कोना/ हर
सर्वावधि / मन:पर्यय
जब सर्वावधिज्ञान एक परमाणु तक को जानता है, तो मन:पर्यय ज्ञानी उसका अनंतवा भाग कैसे जानेगा ? आशय द्रव्य से नहीं, पर्याय से लेना। पर्याय
दुआ
जब ठोकर खा कर भी ना गिरो तो समझ लेना कि दुआओं ने थाम रखा है। (डॉ.संजय जैन)
मन
नोइंद्रिय/ अंगोपांग नामकर्म के उदय से मन बनता है। हृदय स्थल पर होने के कारण ही मन को हृदय और हृदय को मन कहने लगते
सोच के भेद
1. सामान्य…बुरे को बुरा माने 2. मध्यम… अच्छे को अच्छा 3. निकृष्ट… अच्छे को बुरा 4. साधु…. बुरे को भी बुरा न माने चिंतन
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