Day: June 23, 2024

विस्रसोपचय

विस्र = स्वभाव से उपचित(चिपकने वाले); कर्म/ नोकर्म से निरपेक्ष, कर्म/ नोकर्म परमाणुओं पर स्थित। ये रूक्ष या स्निग्ध होते हैं, इसीलिये चिपके रहते हैं।

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धर्म

दया/ क्षमा धर्म कैसे ? धर्म की अंतिम परिभाषा –> वस्तु का स्वभाव ही धर्म है। दया/ क्षमा आत्मा का स्वभाव है, इस अपेक्षा से

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मंगल आशीष

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