Month: June 2024

सम्यग्दर्शन के अंग

सम्यग्दर्शन के 8 अंगों में से निर्विचिकित्सा, स्थितिकरण, उपगूहन, वात्सल्य और प्रभावना मुख्यतः मुनियों से जुड़े हैं। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (ति.भा. गाथा- 51)

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कर्ता / भाग्य

आदमी की कमाई में परिवारजनों/ सेवकों का भाग्य भी होता है। कमाने वाला व अन्य सब अपने-अपने भाग्य के अनुसार खाते/ पहनते/ भोगते हैं। (सुरेश)

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तप के फायदे

1. शरीर के स्तर पर –> अनशन से कैंसरादि का कारगर उपचार। उनोदर से आलस कम तथा मंदाग्नि का कारगर उपचार। रसपरित्याग –> Excess रस

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अंतर्ध्वनि/ धर्म

जो अंतर्ध्वनि/ धर्म के अनुसार कियायें करते हैं जैसे परोपकार/ दया, उनकी आत्मा शांत/ आनंदित रहती है; विपरीत कियायें करने वालों की अशांत, तभी तो

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अखंड संकल्प

भरत चक्रवती सूर्य में जिनालय देखते थे, हम सूरज की ओर नज़र भी नहीं उठा सकते। कारण ? उनके अखंड देवदर्शन का नियम था। ६

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Religion

Religion is the clearest telescope through which we can behold the beauties of creation. William Scott Downey

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शक्तितस्त्याग

शक्तितस्त्याग दो प्रकार से व्याख्यायित किया गया है- 1. तत्त्वार्थ सूत्र जी में ⇒ “शक्तितस्त्याग” 2. षटखण्डागम जी में ⇒ “प्रासुक परित्याग” (तीर्थंकरादि की वाणी

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त्याग / लोभ

एक लोभी सेठ ने साधु की झोली में एक रुपया डाला। शाम को उसकी तिजोरी में एक हीरा बन गया| अगले दिन सेठ ने झोली

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केवल ज्ञानी

हुंडक संस्थान का उदय 14वें गुणस्थान तक रहता है। सामान्य केवलज्ञानी के दाढ़ी मूंछें यथावत् रहती हैं। शलाका पुरुषों के दाढ़ी मूंछें नहीं होतीं, तीर्थंकरों

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दान

आचार्य श्री विद्यासागर जी के पास एक संभ्रांत व्यक्ति आये। बोले –> मेरे पास अपार धन है पर दान देने के भाव नहीं होते। आचार्य

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मंगल आशीष

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June 20, 2024