Month: June 2024
मोह
करेंट दो प्रकार का … A.C. … जो झटका देता है जैसे 8 कर्म। D.C. … चिपका लेता है, पूरा चूसने पर ही छोड़ता है
नारी
जो नारी (नाड़ी तथा जिस नारी ने जन्म दिया) जन्म से साथ रहीं, वे साथ छोड़ गयीं, तो हमारे जीवन में बाद में आयी नारी
पुरुषार्थ
पुरुषार्थ = पुरुष का इच्छापूर्वक किया गया कार्य। पुरुषार्थ तो जड़ भी करते हैं जैसे भाप के कार्य। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी आमतौर पर एक
विनय
पूजादि, जिनवाणी (धार्मिक पुस्तक) को हाथ में लेकर करनी चाहिये। क्योंकि –> 1. गलत नहीं पढ़ेंगे, सो अनादर नहीं होगा। 2. घमंड नहीं होगा कि
नियति / भव्यत्व
नियति = समय की अपेक्षा काललब्धि। भव्यत्व = अंतरंग क्षमता। पर सिर्फ नियति/ नियतिवाद को मानना मिथ्यात्व है। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
विनय / अविनय
विनय करने को कहा, तो ‘अविनय नहीं करना’, कहने की क्या आवश्यकता थी ? सद्गुणों की विनय करें, किंतु कमज़ोरियों की अविनय भी नहीं करें।
भाषण / उपदेश
भाषण सिर्फ सुनने, स्वार्थ हेतु। उपदेश ग्रहण करने, स्व-पर कल्याण हेतु। उप = निकट पहुँचे + देश = देशना। यह मुख्यत: गुरु (साधु) का काम।
अभिनय
1. सरल –> सामान्य/ अज्ञानी/ रागी गृहस्थ करता है पर दुःख का कारण। 2. कृत्रिम –> नाटक में… ज्ञानी/ समझदार करता है, सब संतुष्ट। जब
समता / ममता
मोही के घर में ममता तथा ज्ञानी के घर में समता रहती है। समता = सम (राग द्वेष से रहित/ सुख दुःख में समान)। ममता
मर्ज़ी
मर्ज़ी उन्हीं की जिन्हें मर्ज़ होता है (वे ही ज़िद करते हैं/ अड़ियल होते हैं)। भगवान की मर्ज़ी ही तेरी अर्ज़ी। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर
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