Month: July 2024
तीन मूर्तियाँ
एक सी तीन मूर्तियों की कीमत 1 हजार, 1 लाख, 1 करोड़| कारण ? 1. एक कान से धागा, दूसरे कान से बाहर → कर्णस्थ
नाम
रूपक… भगवान महावीर अस्थि-गाँव (हत्यारे लोगों का) में जा कर ध्यान मग्न हो गये। लोगों के अपशब्दों से विचलित न होने पर उनसे कहा…इतना मारेंगे
दोष
चल दोष → मंदिर हमने बनवाया है। मल दोष → शंकित/ भोगों की अकांक्षा। अगाढ़ दोष → शांति के लिये शांतिनाथ भगवान। मुनि श्री प्रणम्यसागर
प्रण
चाणक्यादि ने प्रण लेते समय चोटी में गाँठ बाँधी। द्रौपदी आदि ने चोटी खोली। उल्टी क्रियायें क्यों ? पुरुषों की चोटी खुली रहती हैं, स्त्रियों
द्रव्य लिंग
कुछ लोग मुनियों को द्रव्यलिंगी कह कर उनके प्रति अश्रद्धा करते हैं। बस जिनवाणी (वह भी नये पंडितों द्वारा रचित) पर श्रद्धा अधिक करते हैं।
बिंदु / सिंधु
छोटा हुआ तो क्या हुआ जैसे आँसू एक, सागर जैसा स्वाद है; तू भी चख कर देख। बिंदु की श्रद्धा ही, सिंधु की श्रद्धा है।
लौकांतिक देव
लौकांतिक देव को श्रुत केवली नहीं कह सकते हैं। ये पढ़ा नहीं सकते बस द्वादशांग के पाठी हैं। ज्ञान का क्षयोपशम होता है पर अंतिम
ईर्ष्या
ईर्ष्या क्यों करूँ ! ईर्ष्या बड़े से होती, छोटा क्यों बनूँ ? आचार्य श्री विद्यासागर जी
कर्ता
मैं कर्ता हूँ – मन के स्तर पर विचारों का। वचन के स्तर पर शब्दों का। काय के स्तर पर कर्मों का। मुनि श्री मंगल
औकात
कबाड़ी ने कबाड़ सामान खरीदते समय एक भगवान का फोटो निकाल दिया। कारण ? आप बड़े आदमी है, आप भगवान को बेच सकते हैं, मैं
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