Month: July 2024
देवियाँ
वैसे तो मुख्य 6 देवियाँ हैं, तो पंचकल्याणकों में 8 क्यों दिखायी जाती हैं ? 6 देवियों के अलावा रुचिकवर, कुंडलवर पर्वतों (ढ़ाई द्वीप के
मित्र / दुश्मन
ठंडे देश की एक चिड़िया देश छोड़ न पायी। ठंड में उसके पंख अकड़ गये, ज़मीन पर गिर गयी। एक गाय ने उसके ऊपर गोबर
जीव
जीव कहने पर स्वयं की ओर ध्यान न जाना तत्व पर अश्रद्धान है। (खुद की सुरक्षा का ध्यान रखकर Drive करने वाले ही, सबकी रक्षा
व्रती
व्रती शब्द वृत से बना है, जिसकी परिधि हो। परिधि को भी छोटा करते जाते हैं। लगातार सुधार के कारण व्रत बोझल/ Boring नहीं लगते/
दोष
यदि आचरण/ प्रवृत्ति करते समय दोष न लगें तो प्रायश्चित शास्त्रों की रचना करने का औचित्य ही न रहता। क्षु.श्री गणेशप्रसाद वर्णी जी
गुरु
गुरु मिलता है सहजता और सरलता से। रटी रटायी बातें नहीं कहता, देखी बात करता है। राह को साफ (Clean) *सुथरा बनाता है। (अंजली- जयपुर)
भेदविज्ञान
मैं काया में हूँ, पर काया के बिना भी रह सकता हूँ। शरीर की पीड़ा को पड़ौसी की पीड़ा मानना। निमित्त को दोष देना/ रागद्वेष
मन
उच्छृंखल घोड़े को साध दिया जाय तो बिना लगाम खींचे अपने घर को वापस आ जाता है। ऐसा ही मन है। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
पुण्यानुबंधी
पुण्यानुबंधी-पुण्य वाले बहुत कम होते हैं, पापानुबंधी-पुण्य वाले बहुत ज्यादा। चिंतन
अहिंसा / विनय
अक्षर/ शब्दों को लिखकर काटने/ मिटाने में भाव-हिंसा तथा अंकों को काटने/ मिटाने में ज्ञान के प्रति अविनय है। मुनि श्री मंगल सागर जी
Recent Comments