Month: July 2024
अंधकार
9वें अरुणद्वीप से घना अंधकार (जिसे हज़ारों सूर्य भी नहीं छेद सकते हैं। वयलाकार Shape में ब्रम्हलोक के सबसे ऊपर के अरिष्ट विमान तक उठता
शांति
रोना हो तो हिंदी में, हंसना हो तो हिंदी में जीना हो तो शांति से, मरना हो तो शांति से। शांतिपथ प्रदर्थक (शांति तभी मिलेगी
पुरुषार्थ
निगोद से मोक्ष जाने तक की राह में पुरुषार्थ की मुख्यता रहती है। पथरीली/ खतरनाक रास्ता चुन लें या पूर्व मोक्षगामियों का सरल रास्ता। ज्यादातर
कल्पना
हमारे सुख/ दुःख तथा कल्याण/ अकल्याण में प्रारंभिक/ मुख्य भूमिका कल्पनाओं की होती है।
मोक्ष / मार्ग
शांतिपथप्रदर्शक आदि शास्त्र मोक्षमार्ग/ व्यवहार को प्रधानता देते हैं, सिद्धांत ग्रंथ मोक्ष/ निश्चय को मुख्यता से विषय बनाते हैं। शांतिपथप्रदर्शक
पुरुषार्थ
1. गृहस्थ बार-बार हानि होने पर भी धनोपार्जन का पुरुषार्थ करता रहता है। 2. साधु हीन पुरुषार्थ होते हुए भी परीषह (कठिनाइयों) जय करने में
लेपाहार
शरीर पर तेल लगाना लेपाहार है, आहार में नहीं आयेगा। इससे त्वचा/ नसों को शक्ति/ लाभ तो होता है पर आहार में तो ग्रहण किया
आचरण
आँखों की पूजा आज तक किसी ने नहीं की, सब चरणों की ही पूजा करते हैं। यानी दृष्टि नहीं, आचरण पूज्य होता है। आचार्य श्री
परीषह
22 परीषहों में से 11 मानसिक हैं जैसे नग्नता, याचनादि। बाकी 11 शारीरिक होते हैं। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी
अकर्ता
जो अपने को अकर्ता मानता है वह विनम्र होता है। कर्ता मानने वाला ही अकड़ता है। चिंतन
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