Month: July 2024

अहमेंद्र / ब्रम्हचर्य

अहमेंद्रों को ब्रम्हचारी मानें या नहीं ? त्याग की दृष्टि से ब्रम्हचारी नहीं क्योंकि संकल्प नहीं है। ग्रहण की दृष्टि से ब्रम्हचारी मानें क्योंकि इंद्रियों

Read More »

उदारता

वनस्पति दो प्रकार की → 1. जो अपने फल खुले में रखते हैं/ पकने पर दूसरों के लिये गिराते रहते हैं जैसे आम, अमरूद। इन

Read More »

परीषह

मुनि 22 परीषहों को जय करके निर्जरा करते हैं। श्रावक के परीषहों की परिषद होती है, उससे कर्मबंध करते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

मानसिक बल

आर्यिका श्री ज्ञानमति माताजी ने अपनी पुस्तक की टीका लिखने के लिये एक पंडित जी से कहा। उन्होंने असमर्थता का कारण बताया… पहले मैं युवा

Read More »

विपाक

पुद्गल(कुर्सी आदि) का विपाक प्राय: समय पर ही, कर्म का कभी भी जैसे आयु/ अकाल मृत्यु। मुनि श्री अजितसागर जी

Read More »

भाग्य / पुरुषार्थ

भाग्य = पिछले साल का बीज। पुरुषार्थ = बीज बोना, फसल की देखभाल करना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

संयम

संयम = सम् (सम्यक् प्रकार) + यम (दबाना इन्द्रिय विषयों को)। क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी जी

Read More »

नींव में सोना

नींव में सोना डालने का औचित्य नहीं, चाहे नींव मंदिर की ही क्यों न हो। मुनि श्री प्रमाणसागर जी

Read More »

कुलाचार

कुलाचार से सम्यग्दर्शन ना भी हो पर सहायक ज़रूर होता है। चिंतन

Read More »

गुण खिलाना

हृदयांगन में सुगंधित गुण रूपी फूल खिलने पर, आँगन सुंदरता/ सुगंधी से तो भर ही जाता है तथा सत्संगी रूपी तितलियाँ भी मंडराने लगती हैं,

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

July 11, 2024