.e-con.e-parent:nth-of-type(n+4):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload), .e-con.e-parent:nth-of-type(n+4):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload) * { background-image: none !important; } @media screen and (max-height: 1024px) { .e-con.e-parent:nth-of-type(n+3):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload), .e-con.e-parent:nth-of-type(n+3):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload) * { background-image: none !important; } } @media screen and (max-height: 640px) { .e-con.e-parent:nth-of-type(n+2):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload), .e-con.e-parent:nth-of-type(n+2):not(.e-lazyloaded):not(.e-no-lazyload) * { background-image: none !important; } }

Month: August 2024

अवगाहन

आकाश की अवगाहन शक्ति से संख्यात, असंख्यात, अनंत प्रदेशी अनंत द्रव्य असंख्यात प्रदेशी लोकाकाश में रह रहे हैं। द्रव्य के अंदर भी अवगाहन/ संकोच-विस्तार स्वभाव

Read More »

एक ही देवता

एक विधवा महिला मंदिर में फूल तथा Waste सब भगवान को समर्पित करतीं थीं। कारण ? “सर्वस्व समर्पयामि”। जब हमारा भगवान एक ही है तो

Read More »

चल/अचल प्रदेश

जीव तथा पुद्गल के प्रदेश स्थिर नहीं होते। जीव में 8 अचल प्रदेश होते हैं हालांकि स्पंदन तो होता है, Circulation नहीं। चल चल ही

Read More »

सोच

नकारात्मक ….काफ़ी अकेला हूँ। सकारात्मक …अकेला काफ़ी हूँ। (एकता-पुणे)

Read More »

मुनि शिवभूति जी

शिवभूति मुनि ज्ञानावरण कर्म के तीव्र उदय से अल्पज्ञानी थे। गुरु ने “मा-रुस मा-तुस” सूत्र का चिंतन करने को कहा। सूत्र का अर्थ था, “द्वेष

Read More »

संस्कृति

भारतीय संस्कृति मानवतावादी, पाश्चात्य मानववादी (मानव के लिये कितने भी जीवों का संहार करना पड़े तो करो)। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

Read More »

आकाश में ऊर्जा

आकाश में, अणु से स्कंध तथा स्कंधों के टूटने से अणु बनने की क्रियायें लगातार चलती रहती हैं। उससे Space में Energy बनी रहती है।

Read More »

श्रमण / श्रावक

श्रमण … मैं ही मैं हूँ (क्योंकि स्व में प्रतिष्ठित), श्रावक …तू ही तू है* ( क्योंकि गुरु/ भगवान की भक्ति की प्रधानता)। ब्र. डॉ.

Read More »

चार गुण

सम्यग्दर्शन के लिये चार गुण (प्रशम, अनुकम्पा, संवेग, आस्तिक्य*)। पहले तीन गुण तो मिथ्यादृष्टि के भी हो सकते पर आस्तिक्य का सम्बंध सम्यग्दर्शन से ही

Read More »

मौन

पशु न बोलने से दुःख उठाते हैं, मनुष्य बोलने से। आचार्य श्री विद्यासागर जी

Read More »

मंगल आशीष

Archives

Archives
Recent Comments

August 31, 2024