Month: August 2024
पूजा / छह आवश्यक
पूजा में छह आवश्यक* घटित किये जा सकते हैं; पर घटित होते नहीं हैं। मुनि श्री अजितसागर जी * गुरुपास्ति, देवदर्शन/ पूजा, दान(यहाँ ज्ञान), तप(इच्छानिरोध),
क्रोध
कमजोर ही अपने से कमजोर पर क्रोध करता/ कर सकता है। क्रोध करने वाले को शक्तिशाली नहीं कहा जा सकता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
अवधिज्ञान
क्या अवधिज्ञान भव्यता/ अभव्यता को बता सकता है ? प्राय: नहीं, लेकिन कर्मों की आगे/ पीछे की स्थिति (अंत: कोड़ाकोड़ी सागर) दिख जाए तो कथंचित
संघर्ष / संस्कार
यदि बड़े होकर संस्कारित नहीं रहे तो बदनाम कौन होगा ? हमारी माँ।
इन्द्र / जन्माभिषेक
भरत क्षेत्र के तीर्थंकरों का जन्माभिषेक सौधर्म इन्द्र, ऐरावत का ईशान, विदेह पूर्व व पश्चिम के सानत्कुमार व माहेन्द्र स्वर्ग के इन्द्र respectively, करते हैं।
अहिंसा
बलि के पक्ष में कुतर्क… उस जानवर को तो मरना ही था। यहाँ मेरे हाथों मर गया ! मारने में तुम क्यों निमित्त बनो ?
केवलज्ञान
केवलज्ञान में भविष्य का ज्ञान निश्चित है। पर हमारे लिए केवलज्ञान का स्वरूप ही जानना उपयोगी है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र – 1/29)
नियम
नियम बने हैं, ताकि हम बने रहें। होता यह है कि नियम बने रहते हैं, हम टूट जाते हैं। गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
अमृत
रस ऋद्धियों में मधुरादि सारे अच्छे रसों की ऋद्धियाँ तो आ गयीं फिर अमृत-ऋद्धि में कौन सा रस होगा ? योगेन्द्र अमृत-ऋद्धि में अलग Quality
परनिन्दा / बुराई
गटर का ढक्कन तभी उठाओ, जब गटर को साफ कर सकने की सामर्थ हो। इसी तरह परनिन्दा/ दूसरों की बुराई तब करो जब बुराइयों को
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