Day: October 15, 2024

प्रायश्चित

‘प्रायः’ से सन्यास + ‘चित्त’ से मन (श्री रयणसार जी)। यानी मन में सन्यास भाव होंगे तभी प्रायश्चित्त होगा। कुली (बोझा ढोने वाला) नहीं, यात्री

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संसार चक्र

शेर की माँद के बाहर जानवरों के आने के ही पदचिह्न दिखते हैं, लौटने के नहीं। संसार में एक बार घुसने पर विरले ही निकल

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मंगल आशीष

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October 15, 2024

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