Day: October 25, 2024

स्व-समय

पूर्ण रूप से तो स्व-समय में सिद्ध भगवान ही रहते हैं। निज में एकत्व पर से विभक्त्व। अरहंत भगवान भी चार अघातिया कर्मों का अनुभव

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आत्मा

आत्मा को समझाने की आवश्यकता नहीं, वह तो ही ख़ुद समझदार है, आत्मा को समझना है। ऐसे ही भगवान/ गुरु को समझना है। निर्यापक मुनि

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मंगल आशीष

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October 25, 2024