Month: October 2024
समवसरण व्यवस्था
आचार्य कुंदकुंद के अनुसार आर्यिकाओं को दीक्षा नहीं दी जाती। इसीलिये उन्हें श्राविकाओं के कोठे में बैठाया जाता है। देवियों को अलग-अलग कोठों में इसलिये
दुश्मन
दुश्मन को कभी कमज़ोर मत समझना। सामने आ जाय तो अपने को कमज़ोर मत समझना। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
शुद्ध/अशुद्ध द्रव्य
जीव क्रियावान, पुद्गल भी क्रियावान क्योंकि उसमें अणु से स्कंध तथा स्कंध से अणु बनते रहते हैं। इसीलिये दोनों अशुद्ध। बाकी चारों द्रव्य क्रियावान नहीं
मोह
नई सेविका के हाथ बेटे के लिये टिफिन भेजा। पहचानूंगी कैसे ? जो सबसे सुंदर हो। सेविका अपने बेटे को टिफिन दे आयी। ब्र. डॉ.
परमाणु / स्कंध
अनंत परमाणु या स्कंध एक प्रदेश में रह सकते हैं। परमाणु तो सूक्ष्म होते ही हैं, स्कंध वो जो सूक्ष्म हों। जैसे पानी से भरी
आत्मीयता
मैं आत्मा हूँ औरों से आत्मीयता मेरी श्वास है। (जब तक संसार में हूँ) आचार्य श्री विद्यासागर जी
मनोवर्गणा
मनोवर्गणा द्रव्य-मन में उपादान कारण हैं। भाव-मन नोइंद्रियावरण के क्षयोपशम से उत्पन्न ज्ञान की परिणति है, जिससे स्मृति/ विचार क्षमता आती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर
नम्रता / आवेग
तुलसी कृत रामायण में राम को विनम्र कहा, लक्ष्मण को नम्र। नम्रता दूसरों से/ बाहर की स्थिति से संचालित होती है। विनम्रता स्वयं भीतर से
परिचय
मेरा/ हम सब का सही परिचय… स्व-चतुष्टय है। जो इस पर विश्वास करते हैं वे सम्यग्दृष्टि होते हैं। हमारी कार्मण वर्गणायें भी अपने-अपने चतुष्टय में
पुण्य / पुरुषार्थ
मोबाइल की बैटरी 8% रह गयी। चार्जिंग पर लगाया फिर भी चार्जिंग घटती जा रही थी। 1% पर पहुँचकर बढ़ना शुरू हुई। स्टॉक के पुण्य
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