Month: November 2024

राग द्वेष

राग दसवें गुणस्थान तक चलता है जबकि द्वेष नौवें स्थान तक। कारण ? दोनों ही कषाय से होते हैं। क्रोध और मान* द्वेष रूप हैं,

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मोह

मां अपने नालायक बच्चे को ताने मारती है… देख ! पड़ोसी का बच्चा कितना लायक है। पर जब कुछ देने की बात आती है तो

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मोक्षमार्ग

मोक्षमार्ग पर चलना नहीं, खड़े रहना/ बने रहना होता है (ज़्यादा महत्त्वपूर्ण होता है)। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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शास्त्र

Antique चीज़ें बहुमूल्य होती हैं। हमारे शास्त्र तो हजारों वर्ष पुराने हैं। इनका मूल्य तो आँका ही नहीं जा सकता। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी

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दूसरा/तीसरा गुणस्थान

पहले गुणस्थान में मिथ्यात्व के भाव, चौथे में सम्यक्त्व के। तो दूसरे/ तीसरे में ? मिथ्यात्व के संस्कार! मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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लोगों के प्रकार

दो प्रकार के लोग बंधनीय –> जो बंध को पा रहे हैं जैसे कैदी, बलात सीमा में रखते हैं ताकि अमर्यादित न होने पायें। वंदनीय

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स्व-चतुष्टय

स्वयं का द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव ही स्व-चतुष्टय है। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

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सीख

इंसान हमेशा तकलीफ में ही सीखता है। खुशी में तो पुराने सबक भी भूल जाता है। (रेनू जैन – नया बजार, ग्वालियर)

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जैन भूगोल

तिलोइपणत्ति के अनुसार एक प्राकृतिक आपदा (भोगभूमि से कर्मभूमि आते समय पृथ्वी एक योजन(योजन बराबर 2000 कोस) ऊपर उठ गई थी। उससे पृथ्वी गोल हो

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मनोरंजन

मनोरंजन में दोष नहीं। मनोबंधन दोषपूर्ण है। मन बंधना नहीं चाहिये। आदत/ लत न पड़ जाये। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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मंगल आशीष

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