Month: December 2024
नित्य
हर पदार्थ में उत्पाद/ व्यय हो रहा है तो नित्य कैसे ? क्योंकि हर पदार्थ में – “यह वही है” बना रहता है। यही ध्रौव्यगुण/
विकास
गुण/ चारित्र का विकास बिल्ली की आवाज़ की तरह नहीं होना चाहिए… जो पहले तेज़ और बाद में मंद मंदतर होती चली जाती है। बल्कि
रत्नत्रय
भारत देश में तीनों मौसम एक दूसरे के पूरक। ऐसा लगता है जैसे कि रत्नत्रय के लिए सहायक वातावरण इसी देश में है। चिंतन
प्रकृति
प्रकृति हमारे शरीर की रक्षा करती है… वर्षाकाल में पित्त पैरों में आ जाता है, जल से रक्षा होती है। सर्दी में छाती में क्योंकि
संकल्पी हिंसा
3 ड्रेस का नियम है पर एक में काम चल सकता था, तो दो की संकल्पी हिंसा हुई। एक बाल्टी पानी की जगह दो बाल्टी
तीर्थंकर
सभी तीर्थंकरों के प्रथम आहार का वर्णन तो मिलता है, पर महावीर भगवान के कई आहारों का मिलता है। प्रथम आहार के समय पंचाश्चर्य तो
गुरु
एक गुरु ने अपने शिष्य को लाठी चलाने की शिक्षा पूर्ण कर दी। शिष्य माहिर भी हो गया पर उसे गुमान आ गया कि वह
काल
काल तो एक समय का वर्तमान काल होता है, यह निश्चय काल है। व्यवहार तीनों कालों में बांटता है। भूत/ भविष्य तो Collection of काल
मैं क्या हूँ ?
अच्छा वक्त दुनिया को बताता है कि मैं क्या हूँ, बुरे वक्त में दुनिया बताती है कि मैं क्या हूँ। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी
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