Month: December 2024
आत्मा
जो अपने को आत्मा नहीं मानता, उसे दूसरे भी आत्मा नहीं मानते जैसे पृथ्वीकायादि असंज्ञी जीवों को। आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (6 नवम्बर)
सुख
शैतान बच्चे ने तीन बकरियों पर एक, दो और चार नम्बर डाल कर स्कूल में घुसा दिया। सब लोग बकरियों को पकड़ने लगे। तीन बकरियाँ
दु:ख
“सुख रत्ती भर भी कम न हो, दु:ख पल भर भी टिके नहीं।” ऐसी चाहना ही सबसे बड़ा दु:ख है। साधु दु:ख स्वीकारते हैं इसलिए
सिद्ध
समस्या आने पर “ॐ सिद्धाय नमः” या “ॐ अर्हम नमः” का बार-बार चिंतन करें। क्योंकि उन्होंने अव्याबाध सुख प्राप्त कर लिया है यानी बाधा रहित।
सम्यग्दर्शन
तत्त्वों के अर्थ तो अलग-अलग ले सकते/ लिये जाते हैं। इसलिये प्रयोजनभूत तत्त्वों के सम्यक् अर्थ पर श्रद्धान से सम्यग्दर्शन कहा है। मुनि श्री मंगल
माना
गणित में सवाल हल करते समय, “माना कि” से सवाल हल हो जाते हैं। पर जीवन में जो तुम्हारा है नहीं, उसे अपना मान-मान कर
प्रतिनारायण
नरक में नारायण और प्रतिनारायण दोनों एक ही बिल में जन्म लेते और रहते हैं और पूरे समय पुराने बैर के कारण लड़ते रहते हैं।
मंदिर
मन को मंदिर कैसे बनाएँ ? जिस मन में हर समय प्रभु का नाम स्मरण हो, वह मन प्रभु का मंदिर बन गया न !
सिद्धों का ज्ञान
सिद्धों का ज्ञान प्रकाश रूप, तो क्या सिद्धक्षेत्र प्रकाशित रहता है ? उनका ज्ञान-प्रकाश खुद को प्रकाशित करता है, अन्य को नहीं। मुनि श्री प्रणम्यसागर
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